राजनांदगांव में जल संकट: 210 करोड़ के अमृत मिशन पर उठे गंभीर सवाल, महापौर की कार्यशैली कटघरे में!

राजनांदगांव में जल संकट: 210 करोड़ के अमृत मिशन पर उठे गंभीर सवाल, महापौर की कार्यशैली कटघरे में!
राजनांदगांव में जल संकट: 210 करोड़ के अमृत मिशन पर उठे गंभीर सवाल, राजनांदगांव में गंदे और मटमैले पानी की सप्लाई को लेकर जनता का गुस्सा फूट पड़ा है। पूर्व पार्षद हेमंत ओस्तवाल ने महापौर मधुसूदन यादव को सीधे तौर पर कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि वह शहर की जनता के साथ “पानी के नाम पर खेल” बंद करें।
जनता के विश्वास पर फिरा पानी?
ओस्तवाल ने महापौर को याद दिलाया कि शहर की जनता ने “ट्रिपल इंजन सरकार” (केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय में एक ही दल की सरकार) पर बहुत भरोसा जताया था। लोगों को उम्मीद थी कि जब देश और प्रदेश में भाजपा की सरकार है, तो शहर का विकास तेजी से होगा। लेकिन गंदे पानी की लगातार सप्लाई से ऐसा लग रहा है कि जनता के इस विश्वास को तोड़ा जा रहा है।राजनांदगांव में जल संकट: 210 करोड़ के अमृत मिशन पर उठे गंभीर सवाल
अमृत मिशन पर बड़ा आरोप: “नई मशीनें लगीं या कबाड़खाने से आईं?”
सबसे बड़ा और गंभीर सवाल 210 करोड़ रुपये की अमृत मिशन योजना को लेकर उठाया गया है। ओस्तवाल ने महापौर से सीधे पूछा है कि क्या इस भारी-भरकम बजट से फिल्टर प्लांट में नई मशीनें लगाई गईं, या फिर किसी कबाड़ी की दुकान से पुरानी मशीनों को रंग-रोगन करके फिट कर दिया गया? उन्होंने मांग की है कि महापौर को इस पूरे मामले की सच्चाई जनता के सामने रखनी चाहिए।राजनांदगांव में जल संकट: 210 करोड़ के अमृत मिशन पर उठे गंभीर सवाल
मरम्मत के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल?
आरोप है कि जब भी पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठता है, तो अधिकारी और महापौर “फिल्टर प्लांट की सफाई” या “मशीन खराब होने” का बहाना बना देते हैं। ओस्तवाल का कहना है कि यह केवल भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश है। उन्होंने महापौर को चुनौती दी है कि वह पूर्व महापौर के कार्यकाल में जल विभाग द्वारा मरम्मत और सफाई के नाम पर बनाए गए बिलों की जांच करें, क्योंकि उसे देखकर वह खुद हैरान रह जाएंगे।राजनांदगांव में जल संकट: 210 करोड़ के अमृत मिशन पर उठे गंभीर सवाल
“ट्रिपल इंजन सरकार” में भी सिस्टम फेल क्यों?
यह सवाल भी जोर-शोर से उठ रहा है कि जब शहर में इतनी शक्तिशाली “ट्रिपल इंजन सरकार” है, तो एक अनुभवी महापौर के आदेश के बाद भी व्यवस्था दुरुस्त क्यों नहीं हो पा रही है? क्या निगम के भ्रष्ट अधिकारी महापौर की नहीं सुन रहे, या महापौर खुद ठेकेदारों और इंजीनियरों पर कार्रवाई करने से बच रहे हैं? यह शहर में चर्चा का एक बड़ा विषय बन गया है।राजनांदगांव में जल संकट: 210 करोड़ के अमृत मिशन पर उठे गंभीर सवाल
जनता को चाहिए साफ पानी, नहीं खोखले निर्देश!
पूर्व पार्षद ने स्पष्ट कहा कि महापौर का बार-बार फिल्टर प्लांट जाकर केवल निर्देश देना उनकी काबिलियत को नहीं दर्शाता। जनता को खोखले वादे और दिखावटी दौरे नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई चाहिए। शहर की भलाई के लिए महापौर को कमजोरियों को छिपाने के बजाय भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ कड़े निर्णय लेने की क्षमता दिखानी होगी।राजनांदगांव में जल संकट: 210 करोड़ के अमृत मिशन पर उठे गंभीर सवाल









