
NCG NEWS DESK Chennai :-
यौन उत्पीड़न से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान एक चौंकाने वाली घटना सामने आई. एक महिला ने पति को फंसाने के लिए कड़े कानून पॉक्सो का दुरुपयोग किया. महिला ने पति के खिलाफ बेटी के साथ यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायत दर्ज कराई. इतना ही नहीं केस को मजबूत बनाने के लिए उसने फर्जी दस्तावेज भी तैयार किए. हालांकि, मामले की सुनवाई के दौरान सच्चाई का पता चल गया और अदालत ने महिला को दोषी ठहराते हुए उसके खिलाफ सजा सुनाई.
चेन्नई की एक विशेष पॉक्सो अदालत ने एक महिला को पांच साल जेल की सजा सुनाई है. साथ ही 6,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. महिला ने छह साल पहले अपने पति पर बेटी के साथ यौन उत्पीड़न करने का झूठा आरोप लगाया था. इस मामले में नाटकीय मोड़ तब आया जब पिता द्वारा जमानत की मांग को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय याचिका दायर की.
मद्रास उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई शुरू की. सुनवाई के दौरान अदालत में पेश किए गस सबूतों में विसंगतियां पाई गई. फिर अदालत ने इसकी सख्ती से जांच कराई. इस दौरान पाया गया कि महिला ने फर्जी तरीके से कई मेडिकल रिपोर्ट तैयार की थी. यह भी पाया गया कि महिला नर्स के रूप में काम करती थी और इसका फायदा उठाकर उसने रिपोर्ट तैयार कराई.
आगे की जांच से पता चला कि महिला ने अपने पति से बदला लेने के लिए मनगढ़ंत आरोप लगाए थे. इस प्रक्रिया में अपने पति को झूठा फंसाया था. कैमरे पर रिकॉर्ड किया गया बेटी का बयान, पिता की बेगुनाही की पुष्टि करने और मां के धोखे को उजागर करने वाले महत्वपूर्ण सबूत मिले.
मामले की सुनवाई करते हुए विशेष अदालत की न्यायाधीश राजलक्ष्मी ने एक सख्त फैसला सुनाया. न्यायाधीश ने फर्जी मुकदमा दर्ज कराने को गंभीरता से लिया. न्यायाशी ने कहा कि ये सजा कानूनी प्रणाली में हेरफेर करने और व्यक्तियों पर झूठा आरोप लगाने के परिणामों की एक कड़ी याद दिलाती है. न्याय को बनाए रखने और इसमें शामिल सभी पक्षों के अधिकारों की रक्षा के महत्व को रेखांकित करती है.
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