
World Organ Donation Day Special: छत्तीसगढ़ में जागी उम्मीद की किरण, 27 लोगों को मिला नया जीवन, पर मंजिल अभी दूर, अंगदान को महादान कहा जाता है, क्योंकि यह किसी को नई जिंदगी देने का सबसे अनमोल तोहफा है। छत्तीसगढ़ में भी अंगदान को लेकर जागरूकता धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन तमिलनाडु जैसे राज्यों की तुलना में यह सफर अभी लंबा है। प्रदेश में अंगदान के लिए अब तक 203 लोगों ने संकल्प लिया है, जिनकी बदौलत 27 जरूरतमंदों को नया जीवन मिल सका है।
आंकड़ों में अंगदान: क्या कहती है प्रदेश की तस्वीर?
राज्य अंग प्रत्यारोपण संगठन (SOTO) की स्थापना के बाद प्रदेश में अंगदान के मामलों में तेजी आई है। पिछले कुछ सालों के आंकड़े एक सकारात्मक तस्वीर पेश करते हैं:
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कुल आवेदन: 203 लोगों ने अंगदान के लिए पंजीकरण कराया है।
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सफल प्रत्यारोपण: अब तक 27 मरीजों में सफल ट्रांसप्लांट किया जा चुका है।
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दान में मिले अंग: कुल 34 अंग दान में मिले हैं, जिनमें त्वचा, कॉर्निया और लिवर शामिल हैं।
सबसे अच्छी बात यह है कि अब प्रदेश में ब्रेनडेड मरीजों से भी अंग लेकर जरूरतमंदों में प्रत्यारोपित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिससे कई जिंदगियां बचाई जा सकी हैं।World Organ Donation Day Special
अंग प्रत्यारोपण की सुविधा: एम्स एकमात्र सरकारी उम्मीद
प्रदेश में अंग प्रत्यारोपण के लिए कुल 18 अस्पताल पंजीकृत हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि इनमें रायपुर स्थित एम्स (AIIMS) एकमात्र सरकारी अस्पताल है। बाकी 17 अस्पताल निजी क्षेत्र के हैं।World Organ Donation Day Special
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किडनी ट्रांसप्लांट: 8 अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध है। जल्द ही डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भी यह शुरू होने की उम्मीद है।
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लिवर ट्रांसप्लांट: यह एक जटिल प्रक्रिया है और इसके लिए केवल 2 निजी अस्पताल पंजीकृत हैं।
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हार्ट ट्रांसप्लांट: प्रदेश के 3 निजी अस्पतालों के पास इसका पंजीकरण है, हालांकि अभी तक यहां कोई हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं हुआ है। एम्स, रायपुर में भी भविष्य में यह सुविधा शुरू करने की तैयारी है।
कौन सा अंग कितने समय तक रहता है सुरक्षित?
अंगदान में समय का बहुत महत्व होता है। जानिए कौन सा अंग कितने समय तक प्रत्यारोपण के लिए सुरक्षित रहता है:
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हार्ट-फेफड़े: 4 से 6 घंटे
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लिवर: 6 से 12 घंटे
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किडनी: 30 घंटे
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अग्नाशय (Pancreas): 6 घंटे
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आंत (Intestine): 6 घंटे
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कॉर्निया: 72 घंटे
जागरूकता ही है सबसे बड़ा समाधान
श्री नारायणा अस्पताल के डायरेक्टर, डॉ. सुनील खेमका का कहना है, “जरूरतमंद मरीजों के लिए अंगदान अत्यंत आवश्यक है। प्रदेश में पहले की तुलना में अंगदान बढ़ा है, लेकिन यह अब भी काफी कम है। यह खुशी की बात है कि अब ब्रेनडेड मरीजों से भी अंगदान संभव हो पा रहा है, जिससे कई मरीजों को नया जीवन मिला है। समाज में इसे लेकर और अधिक जागरूकता फैलाने की जरूरत है।”World Organ Donation Day Special









