छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति: ACB का डबल एक्शन, सूरजपुर और बलरामपुर में दो सरकारी बाबू रंगे हाथों गिरफ्तार

रायपुर : छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति: ACB का डबल एक्शन, सूरजपुर और बलरामपुर में दो सरकारी बाबू रंगे हाथों गिरफ्तार, छत्तीसगढ़ में इन दिनों भ्रष्टाचार के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की मुहिम तेज हो गई है। राज्य के विभिन्न हिस्सों से सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी के खिलाफ लगातार कार्रवाई की खबरें आ रही हैं, जो यह दर्शाती हैं कि ACB अब ऐसे मामलों को लेकर कितनी सक्रिय और गंभीर है। इसी कड़ी में, ACB ने दो अलग-अलग जिलों – सूरजपुर और बलरामपुर – में बड़ी कार्रवाई करते हुए दो सरकारी अधिकारियों को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। ये गिरफ्तारियां न केवल उन भ्रष्ट अधिकारियों के लिए एक कड़ी चेतावनी हैं, बल्कि आम जनता में भी यह विश्वास जगा रही हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी शिकायतें अनसुनी नहीं होंगी।
सूरजपुर: नक्शा काटने के नाम पर 20 हजार की रिश्वत, बाबू प्रमोद यादव गिरफ्तार
पहली घटना सूरजपुर जिले से सामने आई, जहां भू-अभिलेख शाखा में रिश्वतखोरी का खेल चल रहा था। एक आम नागरिक को अपने जमीन के नक्शे से संबंधित काम करवाना था, जिसके लिए उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे थे। इसी दौरान, भू-अभिलेख शाखा के बाबू प्रमोद यादव ने इस काम के एवज में उनसे 20 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की।छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति
पीड़ित नागरिक रिश्वत देने को तैयार नहीं था और उसने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का फैसला किया। उसने तुरंत एंटी करप्शन ब्यूरो से संपर्क किया और प्रमोद यादव की रिश्वत मांगने की शिकायत दर्ज कराई। ACB की टीम ने शिकायत की सत्यता की जांच की और फिर एक सुनियोजित जाल बिछाया। बुधवार को जब प्रमोद यादव शिकायतकर्ता से 20 हजार रुपये की रिश्वत ले रहा था, तभी ACB की टीम ने उसे रंगे हाथों दबोच लिया। यह कार्रवाई सरकारी दफ्तरों में छोटे-छोटे कामों के लिए भी होने वाली रिश्वतखोरी पर एक सीधा प्रहार है।छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति
बलरामपुर: पैतृक जमीन बंटवारे के लिए 13 हजार की मांग, पटवारी मोहन सिंह गिरफ्तार
दूसरी बड़ी कार्रवाई बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर राजस्व अनुभाग में हुई, जहां पटवारी मोहन सिंह भ्रष्टाचार के दलदल में फंस गए। मामला पैतृक जमीन के बंटवारे से जुड़ा था, जिसके लिए एक किसान को पटवारी कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे थे। पटवारी मोहन सिंह ने इस कानूनी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए किसान से 13 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की।छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति
किसान भी इस अन्याय को सहने को तैयार नहीं था। उसने फैसला किया कि वह रिश्वत देने के बजाय पटवारी को रंगे हाथों पकड़वाएगा। उसने ACB से शिकायत की, जिसके बाद ACB की टीम ने बलरामपुर में अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया। टीम ने पंडरी गांव के एक घर में दबिश दी, जहां पटवारी मोहन सिंह किसान से 13 हजार रुपये की रिश्वत ले रहा था। ACB ने उसे उसी वक्त रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी पटवारी जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे अधिकारियों द्वारा छोटे किसानों के शोषण की प्रवृत्ति पर लगाम कसने में सहायक होगी।छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति
ACB की बढ़ती सक्रियता और उसका महत्व
ये दोनों गिरफ्तारियां छत्तीसगढ़ में ACB की बढ़ती सक्रियता का प्रमाण हैं। ऐसी कार्रवाइयां कई मायनों में महत्वपूर्ण हैं:
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सार्वजनिक विश्वास में वृद्धि: जब भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई होती है, तो जनता का सरकारी तंत्र और भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों में विश्वास बढ़ता है।
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भ्रष्ट अधिकारियों को चेतावनी: ये गिरफ्तारियां अन्य भ्रष्ट अधिकारियों के लिए एक कड़ा संदेश हैं कि वे अपने कृत्यों से बच नहीं सकते।
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प्रशासन में पारदर्शिता: भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई से प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही आती है, जिससे आम नागरिकों के लिए सरकारी सेवाएं प्राप्त करना आसान होता है।
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शिकायतकर्ताओं का सशक्तिकरण: जब शिकायतकर्ताओं की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई होती है, तो अधिक लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित होते हैं।
निष्कर्ष: भ्रष्टाचार मुक्त छत्तीसगढ़ की ओर एक कदम
सूरजपुर के बाबू प्रमोद यादव और बलरामपुर के पटवारी मोहन सिंह की गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम हैं। ये मामले दर्शाते हैं कि रिश्वतखोरी केवल उच्च पदों पर ही नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर भी गहरी जड़ें जमाए हुए है, जहां आम जनता को अपने छोटे-मोटे कामों के लिए भी भ्रष्ट अधिकारियों की मनमानी का सामना करना पड़ता है।छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति
ACB की यह सक्रियता एक भ्रष्टाचार मुक्त छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। यह महत्वपूर्ण है कि ऐसी कार्रवाइयां लगातार जारी रहें और भ्रष्ट अधिकारियों को सख्त सजा मिले ताकि अन्य लोग ऐसी गतिविधियों में लिप्त होने से डरें। आम जनता को भी यह समझना होगा कि उनकी शिकायतें ही भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार हैं और उन्हें बिना किसी डर के ACB या संबंधित एजेंसियों से संपर्क करना चाहिए। तभी, “ईमानदार सरकार और स्वच्छ प्रशासन” का सपना साकार हो पाएगा।छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति









