रायपुर

नक्सलियों की टूटी कमर: प्रेस नोट जारी कर माना- मुठभेड़ में मारे गए 7 बड़े कमांडर, सेंट्रल कमेटी मेंबर भी शामिल

नक्सलियों की टूटी कमर: प्रेस नोट जारी कर माना- मुठभेड़ में मारे गए 7 बड़े कमांडर, सेंट्रल कमेटी मेंबर भी शामिल

मुख्य बिंदु:

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  • सुरक्षाबलों को बस्तर में मिली अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी में से एक।

  • माओवादियों ने खुद प्रेस नोट जारी कर अपने 7 बड़े नेताओं के मारे जाने की बात कबूली।

  • मारे गए नक्सलियों में सेंट्रल कमेटी का मेंबर सुधाकर और तेलंगाना स्टेट कमेटी का मेंबर भास्कर भी शामिल।

  • बीजापुर में 5, 6 और 7 जून को हुए अलग-अलग एनकाउंटर में ढेर हुए थे ये नक्सली।

रायपुर/बस्तर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में सुरक्षाबलों को एक बड़ी रणनीतिक जीत मिली है। पहली बार, माओवादियों ने एक प्रेस नोट जारी कर आधिकारिक रूप से यह स्वीकार किया है कि हाल ही में हुए मुठभेड़ों में उनके 7 बड़े नेता मारे गए हैं। यह नक्सली संगठन के लिए एक बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है, जिससे उनकी कमर टूट गई है।नक्सलियों की टूटी कमर

माओवादियों की पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी ने यह प्रेस नोट जारी किया है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि सुरक्षाबलों का ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा।नक्सलियों की टूटी कमर

इन बड़े कमांडरों की मौत से नक्सलियों में हड़कंप

माओवादी संगठन की ओर से उनके सचिव मोहन द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट में जिन 7 नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि की गई है, उनमें दो नाम सबसे अहम हैं, जो नक्सली पदानुक्रम में बहुत ऊंचे पदों पर थे:

  1. गौतम उर्फ सुधाकर: सेंट्रल कमेटी का सदस्य। यह नक्सली संगठन का सबसे बड़ा नीति-निर्णायक निकाय होता है और इसका सदस्य होना एक बहुत बड़ा पद है।

  2. भास्कर: तेलंगाना राज्य कमेटी का सदस्य।

इन दो बड़े कमांडरों के साथ कुल 7 माओवादियों के मारे जाने की बात संगठन ने स्वीकार की है।

क्यों है यह सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी रणनीतिक जीत?

यह सिर्फ नक्सलियों की संख्या में कमी नहीं है, बल्कि यह उनके नेतृत्व पर एक सीधा प्रहार है।

  • लीडरशिप का सफाया: सेंट्रल कमेटी के सदस्य का मारा जाना संगठन के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। इससे नेतृत्व का एक बड़ा वैक्यूम पैदा होता है।

  • मनोबल पर असर: अपने सबसे बड़े नेताओं की मौत की खबर से निचले स्तर के कैडरों का मनोबल टूटता है।

  • ऑपरेशन की सफलता: नक्सलियों द्वारा खुद इस बात को स्वीकार करना सुरक्षाबलों के सटीक खुफिया इनपुट और सफल ऑपरेशन पर मुहर लगाता है।

कब और कहाँ हुए थे ये एनकाउंटर?

यह बड़ी सफलता सुरक्षाबलों को बीजापुर जिले में मिली थी। 5, 6 और 7 जून को नेशनल पार्क के इलाके में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच अलग-अलग मुठभेड़ें हुई थीं, जिनमें इन सात नक्सलियों को मार गिराया गया था। अब तक सुरक्षाबल ही इन मौतों का दावा कर रहे थे, लेकिन अब नक्सलियों के अपने प्रेस नोट ने इस पर अंतिम मुहर लगा दी है।नक्सलियों की टूटी कमर

यह घटना दर्शाती है कि बस्तर में नक्सलवाद अब अपने अंतिम दौर में है और सुरक्षाबलों की रणनीति कारगर साबित हो रही है।नक्सलियों की टूटी कमर

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