ग्राम पंचायत खरडी में घटिया पुलिया निर्माण: भ्रष्टाचार के आरोप, ठेकेदार का गोलमाल

गौरला पेंड्रा मरवाही: खरडी में भ्रष्टाचार की परतें खुलीं
ग्राम पंचायत खरडी में गौठन के पास पुलिया निर्माण कार्य के नाम पर भारी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। यह कार्य जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से किया जा रहा है, जिसमें घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल और अनियमितताएं सामने आई हैं। ठेकेदार द्वारा स्तरहीन सामग्री का मिलावट कर लाखों रुपये का गोलमाल किया गया है, जिसका खामियाजा अब स्थानीय जनता को भुगतना पड़ रहा है। ग्राम पंचायत खरडी में घटिया पुलिया निर्माण: भ्रष्टाचार के आरोप, ठेकेदार का गोलमाल
जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत और भ्रष्टाचार
ग्राम पंचायत खरडी में पुलिया निर्माण कार्य को लेकर कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। शिकायतों के बावजूद सरपंच, सचिव और ठेकेदार के बीच मिलीभगत से कार्य किया जा रहा है। अधिकारियों की अनदेखी के कारण निर्माण कार्यों में अनियमितताएं और घटिया गुणवत्ता की सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है। ग्राम पंचायत खरडी में घटिया पुलिया निर्माण: भ्रष्टाचार के आरोप, ठेकेदार का गोलमाल
भ्रष्टाचार के दावों का खुलासा
नवीनतम मामले में ग्राम पंचायत खरडी के जनपद पंचायत पेंड्रा में पुलिया निर्माण कार्य के दौरान भ्रष्टाचार की परतें सामने आई हैं। ठेकेदार द्वारा मटेरियल में मिलावट कर लाखों रुपये का गोलमाल करने का आरोप है। इसके बावजूद ठेकेदार खुलेआम कह रहे हैं कि वे लाखों के भ्रष्टाचार को हजम कर जाएंगे, और अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। ग्राम पंचायत खरडी में घटिया पुलिया निर्माण: भ्रष्टाचार के आरोप, ठेकेदार का गोलमाल
क्या उच्च अधिकारी इस मुद्दे पर कार्रवाई करेंगे?
ग्रामवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार शिकायत की, लेकिन आला अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। जब इस मामले में तकनिकी सहायक से जानकारी ली गई, तो उनका फोन नहीं लगा। वहीं, सरपंच ने भी इसे स्वीकार किया और कहा कि पुलिया निर्माण में भ्रष्ट कार्य हुआ है, लेकिन वे ऊपर तक सिस्टम से जुड़े हैं। अब यह देखना होगा कि उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं या इसे अनदेखा कर दिया जाएगा। ग्राम पंचायत खरडी में घटिया पुलिया निर्माण: भ्रष्टाचार के आरोप, ठेकेदार का गोलमाल



![शिक्षा सत्र का डेढ़ माह बीता, अब तक स्कूलों में नहीं पहुंचीं किताबें, पुरानी पुस्तकों के सहारे भविष्य की पढ़ाई गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: छत्तीसगढ़ में नया शैक्षणिक सत्र 2025-26 शुरू हुए डेढ़ महीने से अधिक का समय हो गया है, लेकिन गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले के सरकारी स्कूलों में छात्रों के बस्ते अब भी खाली हैं।[1] पाठ्य पुस्तक निगम की लापरवाही के चलते अधिकांश कक्षाओं की किताबें अब तक स्कूलों तक नहीं पहुंच पाई हैं।[1][2] इस स्थिति के कारण छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है और वे पुरानी किताबों से काम चलाने को मजबूर हैं।[1] त्रैमासिक परीक्षा सिर पर, कैसे पूरा होगा कोर्स? स्कूलों में किताबों की यह कमी शिक्षकों और अभिभावकों दोनों के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गई है। लगभग डेढ़ महीने बाद त्रैमासिक परीक्षाएं होनी हैं, ऐसे में बिना नई किताबों के पाठ्यक्रम को समय पर पूरा करना एक बड़ी चुनौती है।[1] जिले के प्राइमरी से लेकर मिडिल स्कूलों तक में यही स्थिति है। उदाहरण के लिए, कक्षा 6वीं के छात्रों को सिर्फ गणित की किताब मिली है, जबकि 8वीं के छात्रों को भी कुछ ही विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं।[1] नए पाठ्यक्रम के कारण पुरानी किताबों से पढ़ाई करना भी पूरी तरह संभव नहीं हो पा रहा है।[1] क्यों हुई किताबों के वितरण में देरी? इस साल किताबों के वितरण में देरी के कई कारण सामने आ रहे हैं: तकनीकी खामियां: इस वर्ष भ्रष्टाचार रोकने के लिए किताबों पर बारकोड लगाए गए हैं।[3][4] लेकिन पाठ्य पुस्तक निगम के पोर्टल का सर्वर बार-बार डाउन होने से स्कूलों में किताबों की स्कैनिंग और डेटा अपलोडिंग का काम अटक गया है, जिससे वितरण रुका हुआ है।[5][6] पुराने डेटा पर छपाई: किताबों की छपाई पुराने यू-डायस (UDISE) डेटा और पिछले साल के स्टॉक के आधार पर की गई। इसमें नए दाखिलों और छात्रों की बढ़ी हुई संख्या का अनुमान नहीं लगाया गया, जिससे कई स्कूलों में मांग के अनुरूप किताबें नहीं पहुंचीं।[1][2] वितरण में अव्यवस्था: पाठ्य पुस्तक निगम से स्कूलों तक किताबें पहुंचाने की प्रक्रिया में भी अव्यवस्था देखने को मिली है।[2][5] प्रशासन के दावों के बावजूद स्थिति जस की तस हालांकि, पाठ्य पुस्तक निगम और शिक्षा विभाग के अधिकारी जल्द ही किताबें पहुंचाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।[2][5] स्कूल प्रबंधन द्वारा जिला कार्यालय को किताबों की मांग के लिए पत्र लिखे जाने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।[1] इस लापरवाही का खामियाजा सीधे तौर पर प्राइमरी और मिडिल स्कूल के मासूम बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। अभिभावकों और शिक्षकों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द किताबों की व्यवस्था की जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई और भविष्य अधर में न लटके।[1]](https://nidarchhattisgarh.com/wp-content/uploads/2025/08/16a.jpg)





