बलौदाबाजार अग्निकांड: जांच की आंच अभी बाकी, न्यायिक आयोग का कार्यकाल 4 महीने और बढ़ा, अब 12 अक्टूबर तक आएगी रिपोर्ट

बलौदाबाजार अग्निकांड: जांच की आंच अभी बाकी, न्यायिक आयोग का कार्यकाल 4 महीने और बढ़ा, अब 12 अक्टूबर तक आएगी रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ के इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज बलौदाबाजार हिंसा और अग्निकांड की जांच अभी लंबी चलेगी। राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग का कार्यकाल एक बार फिर 4 महीने के लिए बढ़ा दिया है। यह फैसला दिखाता है कि घटना की परतें कितनी गहरी हैं और सच की तह तक पहुंचने में अभी और समय लगेगा।बलौदाबाजार अग्निकांड
क्यों जरूरी है यह जांच? जब जला दिया गया था कलेक्टोरेट
यह मामला सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन का नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था पर एक सीधे हमले का है। गिरौदपुरी धाम के पास स्थित अमरगुफा में जैतखाम को नुकसान पहुंचाने की घटना के बाद उपजे विवाद ने 10 जून, 2024 को एक भयावह रूप ले लिया था। हजारों की उग्र और अनियंत्रित भीड़ ने बलौदाबाजार शहर में घुसकर जिला कलेक्ट्रेट और एसपी कार्यालय परिसर को आग के हवाले कर दिया था।बलौदाबाजार अग्निकांड
यह देश के इतिहास में शायद पहली ऐसी घटना थी, जहां प्रदर्शनकारियों ने किसी जिले के सर्वोच्च प्रशासनिक और पुलिस कार्यालयों को इस तरह जलाकर खाक कर दिया हो। इस घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया था।बलौदाबाजार अग्निकांड
करोड़ों का नुकसान, 200 से ज्यादा गाड़ियां स्वाहा
इस हिंसा की भयावहता का अंदाजा नुकसान के आंकड़ों से लगाया जा सकता: जब धधक उठा था कलेक्ट्रेट**
यह पूरा विवाद गिरौदपुरी धाम स्थित महकोनी गांव के अमरगुफा में जैतखाम को नुकसान पहुंचाए जाने की घटना से शुरू हुआ था। इस घटना के विरोध में सतनामी समाज ने 10 जून को एक प्रदर्शन का आह्वान किया था। लेकिन यह प्रदर्शन हिंसक हो गया और उग्र भीड़ ने बलौदाबाजार शहर में जमकर उपद्रव किया।बलौदाबाजार अग्निकांड
यह देश की शायद पहली ऐसी घटना थी, जहां प्रदर्शनकारियों ने सीधे जिला प्रशासन के मुख्यालय, यानी कलेक्टर और एसपी कार्यालय (संयुक्त कार्यालय भवन) को ही आग के हवाले कर दिया। इस हमले ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया था और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे।बलौदाबाजार अग्निकांड
करोड़ों का नुकसान और खाकी पर हमला
इस हिंसा में उपद्रवियों ने जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की।
-
सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान: शुरुआती में अभी और वक्त लगेगा। सतनामी समाज के पवित्र स्थल अमरगुफा में हुई तोड़फोड़ के बाद भड़की हिंसा और कलेक्ट्रेट आगजनी की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग के कार्यकाल को एक बार फिर बढ़ा दिया गया है। यह दूसरी बार है जब जांच की समय-सीमा बढ़ाई गई है, जो इस मामले की जटिलता और गंभीरता को दर्शाता है।
4 महीने और बढ़ा कार्यकाल, अब अक्टूबर तक रिपोर्ट की उम्मीद
राज्य सरकार ने इस हाई-प्रोफाइल मामले की जांच कर रहे न्यायिक जांच आयोग के कार्यकाल को 4 महीने के लिए और बढ़ा दिया है। अब आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 12 अक्टूबर 2024 तक का समय दिया गया है। कार्यकाल का विस्तार यह संकेत देता है कि जांच अभी भी कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर जारी है और किसी भी नतीजे पर पहुंचने के लिए है:
-
कुल नुकसान: प्रारंभिक आकलन के अनुसार, 12.53 करोड़ रुपये की आकलन के अनुसार, इस हिंसा में लगभग 12.53 करोड़ रुपये की सरकारी और निजी संपत्ति का नुकसान हुआ।
-
सैकड़ों वाहन खाक: कलेक्ट्रेट परिसर में खड़ी दो दमकल गाड़ियों सहित 200 से अधिक दोपहिया और चारपहिया वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।
-
पुलिसकर्मी हुए घायल: भीड़ के हमले में 25 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
इस घटना के बाद राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था, ताकि पूरी साजिश का पर्दाफाश हो सके और असली गुनहगारों को सजा दिलाई जा सके। अब कार्यकाल बढ़ने से सभी की निगाहें 12 अक्टूबर पर आयोग को और समय की आवश्यकता है।बलौदाबाजार अग्निकांड
क्यों अहम है यह जांच? जब धू-धू कर जला था कलेक्ट्रेट
यह मामला सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन तक सीमित नहीं था, बल्कि इसने पूरे प्रदेश को झकझोर कर सरकारी और निजी संपत्ति का नुकसान हुआ।
-
वाहनों में आग: परिसर में खड़ी दो दमकल गाड़ियों रख दिया था।
-
क्या हुआ था उस दिन? 10 जून 2024 टिक गई हैं, जब आयोग अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है।









