छत्तीसगढ़ में आयुष्मान योजना पर संकट: 1 सितंबर से निजी अस्पतालों में इलाज बंद करने की चेतावनी
उपशीर्षक: 6 महीने से भुगतान रुका, IMA ने सरकार को घेरा; स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- डेडलाइन से पहले चुका देंगे राशि।

रायपुर, 1 सितंबर से निजी अस्पतालों में इलाज बंद करने की चेतावनी, छत्तीसगढ़ में लाखों गरीबों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा कवच बनी आयुष्मान भारत योजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। प्रदेश के निजी अस्पतालों को पिछले 6 महीनों से योजना के तहत भुगतान नहीं मिला है, जिससे नाराज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और हॉस्पिटल बोर्ड ने 1 सितंबर 2024 से आयुष्मान कार्ड पर इलाज बंद करने की चेतावनी दी है। इस फैसले से प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है।
हालांकि, मामले के तूल पकड़ते ही स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने निजी अस्पतालों को आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा, “अस्पतालों को 1 सितंबर का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। जुलाई तक का बकाया भुगतान अगले 2-3 दिनों के भीतर कर दिया जाएगा।” 1 सितंबर से निजी अस्पतालों में इलाज बंद करने की चेतावनी
क्या है निजी अस्पतालों की समस्या?
IMA ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपनी समस्याओं को उजागर किया है। उनका कहना है कि निजी अस्पताल पूरी निष्ठा से योजना के तहत मरीजों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन उन्हें गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। 1 सितंबर से निजी अस्पतालों में इलाज बंद करने की चेतावनी
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6 महीने से भुगतान लंबित: अस्पतालों का आरोप है कि मार्च 2024 से उन्हें कोई भुगतान नहीं किया गया है। कुछ अस्पतालों का पैसा तो 2023 से ही अटका हुआ है।
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नहीं बढ़ी पैकेज की दरें: पिछले 7-8 सालों से इलाज की पैकेज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, जबकि दवाइयों, जांचों और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं की लागत कई गुना बढ़ चुकी है।
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अप्रूव्ड केस हो रहे रिजेक्ट: सबसे बड़ी समस्या यह है कि इलाज के बाद मरीज के डिस्चार्ज होने के बावजूद पहले से स्वीकृत किए गए केस को बाद में रिजेक्ट कर दिया जा रहा है, जिससे अस्पतालों को सीधा आर्थिक नुकसान हो रहा है।
सरकार के सामने IMA की प्रमुख मांगें
IMA ने सिर्फ भुगतान की ही नहीं, बल्कि योजना में सुधार के लिए भी कई मांगें रखी हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि सिर्फ भुगतान कर देने से समस्या हल नहीं होगी। उनकी प्रमुख मांगें हैं:
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बकाया भुगतान: सारा बकाया भुगतान ब्याज सहित तुरंत किया जाए और भुगतान प्रक्रिया “First in, First out” (पहले आओ, पहले पाओ) के आधार पर हो।
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दरों की समीक्षा: इलाज की दरों की तत्काल समीक्षा कर उन्हें बढ़ाया जाए और योजना के लिए बजट आवंटन भी बढ़ाया जाए।
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समितियों में भागीदारी: योजना की समीक्षा, निगरानी और शिकायत निवारण के लिए बनाई जाने वाली राज्य और जिला स्तरीय समितियों में IMA और हॉस्पिटल बोर्ड के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
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पारदर्शिता: योजना में पारदर्शिता लाने के लिए 2019 से अब तक के सभी क्लेम का डेटा एक ऑनलाइन डैशबोर्ड पर सार्वजनिक किया जाए।
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ट्रस्ट मोड: योजना का संचालन पहले की तरह ट्रस्ट मोड पर ही किया जाए।
सरकार के आश्वासन के बाद अब देखना यह होगा कि क्या समय पर भुगतान होता है और क्या IMA अपनी अन्य मांगों पर सरकार से कोई ठोस आश्वासन ले पाता है। फिलहाल, इस घोषणा ने उन लाखों गरीब मरीजों की चिंता बढ़ा दी है, जो इलाज के लिए पूरी तरह से आयुष्मान कार्ड पर निर्भर हैं। 1 सितंबर से निजी अस्पतालों में इलाज बंद करने की चेतावनी









