छत्तीसगढ़ में भीषण सड़क हादसा: मालवाहक मेटाडोर पलटी, 22 यात्री घायल, दो की हालत नाजुक – यातायात नियमों की घोर अनदेखी

छत्तीसगढ़ में भीषण सड़क हादसा: मालवाहक मेटाडोर पलटी, 22 यात्री घायल, दो की हालत नाजुक – यातायात नियमों की घोर अनदेखी
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छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। शुक्रवार, 30 मई को गौरेला थाना क्षेत्र में कल्याणिका स्कूल के पास एक तेज रफ्तार मेटाडोर (छोटा हाथी) अनियंत्रित होकर पलट गई। इस हादसे में 22 लोग घायल हो गए, जिनमें से दो की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है। यह घटना मालवाहक वाहनों में सवारियों को ढोने के खतरनाक चलन और यातायात व्यवस्था की खामियों को एक बार फिर उजागर करती है।मालवाहक मेटाडोर पलटी
घटना का विस्तृत विवरण: दशगात्र में मातम
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कैसे और कहाँ हुआ हादसा?
जानकारी के अनुसार, यह दुर्घटना गौरेला स्थित कल्याणिका स्कूल के समीप उस वक्त घटी जब एक मेटाडोर वाहन तेज गति से गुजर रहा था। वाहन गौरेला के अमरैया टोला से बढ़ावनढांड गांव की ओर जा रहा था। इसमें सवार सभी लोग एक दशगात्र (शोक कार्यक्रम) में शामिल होने के लिए निकले थे। -
तेज रफ्तार बनी वजह
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मेटाडोर की रफ्तार काफी अधिक थी। इसी दौरान चालक ने वाहन पर से अपना नियंत्रण खो दिया, जिसके परिणामस्वरूप मेटाडोर अनियंत्रित होकर सड़क पर पलट गई।
घायलों की स्थिति और बचाव कार्य

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तत्काल चिकित्सा सहायता
दुर्घटना के तुरंत बाद घटनास्थल पर चीख-पुकार मच गई। स्थानीय लोगों ने फौरन मदद के लिए डायल 112 (पुलिस) और डायल 108 (एम्बुलेंस) को सूचित किया। सूचना मिलते ही बचाव दल मौके पर पहुंचा और घायलों को तत्काल जिला अस्पताल गौरेला में भर्ती कराया गया। -
22 घायल, दो की हालत गंभीर
अस्पताल सूत्रों ने पुष्टि की है कि इस हादसे में कुल 22 लोगों को चोटें आई हैं। इनमें से दो व्यक्तियों की हालत चिंताजनक बनी हुई है, जबकि अन्य घायलों का इलाज जारी है।
यातायात व्यवस्था और नियमों की अनदेखी पर गंभीर सवाल
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मालवाहकों में जानलेवा सफर
यह दुर्घटना एक बार फिर जिले की लचर यातायात व्यवस्था और नियमों के प्रति घोर लापरवाही को दर्शाती है। मालवाहक वाहनों में सवारियों को ढोना पूर्णतः अवैध है, इसके बावजूद यह खतरनाक चलन बेरोकटोक जारी है। यह यात्रियों की जान के साथ सीधा खिलवाड़ है। -
प्रशासनिक उदासीनता का आरोप
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि ऐसे ओवरलोडेड और अवैध रूप से सवारियां ढोने वाले मालवाहक वाहन अक्सर मुख्य सड़कों से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की नजरों के सामने से गुजरते हैं। लेकिन, उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। इसी उदासीनता के कारण इस तरह की दर्दनाक घटनाएं बार-बार सामने आती हैं। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले भी इसी तरह का एक हादसा हुआ था।
जनता की प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग
इस गंभीर हादसे के बाद स्थानीय नागरिकों और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की अपील की है। उनकी प्रमुख मांगें हैं:
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मालवाहक वाहनों में अवैध रूप से सवारी ढोने पर तत्काल और पूर्ण रूप से रोक लगाई जाए।
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दोषी वाहन मालिकों और चालकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
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यातायात नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।
यह आवश्यक है कि यातायात पुलिस और परिवहन विभाग इस समस्या को गंभीरता से लें और नियमित जांच अभियान चलाकर ऐसे अवैध परिवहन पर अंकुश लगाएं, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके और निर्दोष लोगों की जान बचाई जा सके।मालवाहक मेटाडोर पलटी



![शिक्षा सत्र का डेढ़ माह बीता, अब तक स्कूलों में नहीं पहुंचीं किताबें, पुरानी पुस्तकों के सहारे भविष्य की पढ़ाई गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: छत्तीसगढ़ में नया शैक्षणिक सत्र 2025-26 शुरू हुए डेढ़ महीने से अधिक का समय हो गया है, लेकिन गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले के सरकारी स्कूलों में छात्रों के बस्ते अब भी खाली हैं।[1] पाठ्य पुस्तक निगम की लापरवाही के चलते अधिकांश कक्षाओं की किताबें अब तक स्कूलों तक नहीं पहुंच पाई हैं।[1][2] इस स्थिति के कारण छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है और वे पुरानी किताबों से काम चलाने को मजबूर हैं।[1] त्रैमासिक परीक्षा सिर पर, कैसे पूरा होगा कोर्स? स्कूलों में किताबों की यह कमी शिक्षकों और अभिभावकों दोनों के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गई है। लगभग डेढ़ महीने बाद त्रैमासिक परीक्षाएं होनी हैं, ऐसे में बिना नई किताबों के पाठ्यक्रम को समय पर पूरा करना एक बड़ी चुनौती है।[1] जिले के प्राइमरी से लेकर मिडिल स्कूलों तक में यही स्थिति है। उदाहरण के लिए, कक्षा 6वीं के छात्रों को सिर्फ गणित की किताब मिली है, जबकि 8वीं के छात्रों को भी कुछ ही विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं।[1] नए पाठ्यक्रम के कारण पुरानी किताबों से पढ़ाई करना भी पूरी तरह संभव नहीं हो पा रहा है।[1] क्यों हुई किताबों के वितरण में देरी? इस साल किताबों के वितरण में देरी के कई कारण सामने आ रहे हैं: तकनीकी खामियां: इस वर्ष भ्रष्टाचार रोकने के लिए किताबों पर बारकोड लगाए गए हैं।[3][4] लेकिन पाठ्य पुस्तक निगम के पोर्टल का सर्वर बार-बार डाउन होने से स्कूलों में किताबों की स्कैनिंग और डेटा अपलोडिंग का काम अटक गया है, जिससे वितरण रुका हुआ है।[5][6] पुराने डेटा पर छपाई: किताबों की छपाई पुराने यू-डायस (UDISE) डेटा और पिछले साल के स्टॉक के आधार पर की गई। इसमें नए दाखिलों और छात्रों की बढ़ी हुई संख्या का अनुमान नहीं लगाया गया, जिससे कई स्कूलों में मांग के अनुरूप किताबें नहीं पहुंचीं।[1][2] वितरण में अव्यवस्था: पाठ्य पुस्तक निगम से स्कूलों तक किताबें पहुंचाने की प्रक्रिया में भी अव्यवस्था देखने को मिली है।[2][5] प्रशासन के दावों के बावजूद स्थिति जस की तस हालांकि, पाठ्य पुस्तक निगम और शिक्षा विभाग के अधिकारी जल्द ही किताबें पहुंचाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।[2][5] स्कूल प्रबंधन द्वारा जिला कार्यालय को किताबों की मांग के लिए पत्र लिखे जाने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।[1] इस लापरवाही का खामियाजा सीधे तौर पर प्राइमरी और मिडिल स्कूल के मासूम बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। अभिभावकों और शिक्षकों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द किताबों की व्यवस्था की जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई और भविष्य अधर में न लटके।[1]](https://nidarchhattisgarh.com/wp-content/uploads/2025/08/16a.jpg)





