
गरियाबंद अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल: नर्स नहीं, महिला गार्ड लगा रही थी मरीजों को इंजेक्शन, कलेक्टर ने मांगा जवाब, छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला अस्पताल से स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करने वाला एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां मरीजों की जान से खिलवाड़ करते हुए एक महिला सुरक्षा गार्ड को इंजेक्शन लगाते हुए देखा गया। मामला उजागर होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है और गरियाबंद कलेक्टर ने अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस जारी कर तीन दिनों के भीतर जवाब तलब किया है।
कैसे हुआ इस बड़ी लापरवाही का खुलासा?
यह पूरा मामला तब सामने आया जब गरियाबंद निवासी योगेश बघेल अपने बीमार भतीजे का इलाज कराने जिला अस्पताल पहुंचे थे। डॉक्टर ने बच्चे को देखने के बाद इंजेक्शन लगाने की सलाह दी और उन्हें वार्ड नंबर 23 में जाने के लिए कहा। जब योगेश अपने भतीजे को लेकर वार्ड में पहुंचे तो वहां का नजारा देखकर उनके होश उड़ गए। वहां कोई नर्स या डॉक्टर नहीं, बल्कि एक महिला सुरक्षा गार्ड मरीजों को इंजेक्शन लगा रही थी। इस दौरान डॉक्टर और नर्स अपनी ड्यूटी से नदारद थे।महिला गार्ड लगा रही थी मरीजों को इंजेक्शन
अधिकारियों का हैरान करने वाला बहाना: हड़ताल का हवाला देकर झाड़ा पल्ला
जब इस गंभीर मामले की जानकारी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. यशवंत ध्रुव को दी गई, तो उन्होंने जिम्मेदारी लेने के बजाय एक हैरान करने वाला तर्क दिया। उन्होंने अस्पताल में चल रही NHM (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) कर्मचारियों की हड़ताल का हवाला देते हुए मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया। इस गैर-जिम्मेदाराना जवाब ने अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली को और भी सवालों के घेरे में ला दिया है।महिला गार्ड लगा रही थी मरीजों को इंजेक्शन
कलेक्टर का कड़ा रुख, CMHO और सिविल सर्जन को नोटिस
मामले की गंभीरता और मीडिया में खबर आने के बाद गरियाबंद कलेक्टर बी.एस. यूके ने तत्काल एक्शन लिया है। उन्होंने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. यू.ए. नवरत्न और सिविल सर्जन डॉ. यशवंत ध्रुव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। दोनों अधिकारियों को तीन दिन के अंदर इस गंभीर लापरवाही पर अपना स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया गया है।महिला गार्ड लगा रही थी मरीजों को इंजेक्शन
मरीजों की जान से खिलवाड़, कौन है जिम्मेदार?
यह घटना दिखाती है कि जिला अस्पताल की व्यवस्था अब डॉक्टरों और नर्सों के भरोसे नहीं, बल्कि सुरक्षा गार्डों के भरोसे चल रही है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक महिला गार्ड, जिसके पास न तो कोई मेडिकल डिग्री है और न ही कोई ट्रेनिंग, उसे मरीजों को इंजेक्शन लगाने की अनुमति कैसे दी गई? यह सीधे तौर पर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ है। अब देखना यह होगा कि कलेक्टर के नोटिस के बाद स्वास्थ्य विभाग इस मामले में क्या ठोस कार्रवाई करता है।महिला गार्ड लगा रही थी मरीजों को इंजेक्शन









