
विधानसभा, लोकसभा और निकाय चुनाव में कांग्रेस की करारी हार
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए यह चुनावी दौर बेहद निराशाजनक साबित हो रहा है। विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा और अब स्थानीय निकाय चुनाव में भी हार की हैट्रिक लग चुकी है। कांग्रेस की लगातार मिल रही हार पर पहले भी समीक्षा हुई थी, लेकिन अब निकाय चुनावों में भी खराब प्रदर्शन के बाद फिर से आत्मविश्लेषण की जरूरत महसूस की जा रही है। टुकड़े-टुकड़े होती छत्तीसगढ़ कांग्रेस: हार की हैट्रिक के बाद गहराया संकट
भीतरघात और गुटबाजी से बढ़ी मुश्किलें
कांग्रेस के भीतर असंतोष चरम पर पहुंच चुका है। रायपुर के एक पराजित विधायक ने आरोप लगाया कि पार्टी में जीतने के बजाय हार सुनिश्चित करने वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया गया। वहीं, बिलासपुर में पार्टी के जीते हुए विधायक के खिलाफ जिलाध्यक्ष ने ही मोर्चा खोल दिया है। प्रदेशभर में भीतरघात की कहानियां आम हो चुकी हैं, जिससे कार्यकर्ता निराश और हताश हैं। टुकड़े-टुकड़े होती छत्तीसगढ़ कांग्रेस: हार की हैट्रिक के बाद गहराया संकट
कांग्रेस आलाकमान की कमजोर पकड़
कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी इस संकट से अछूता नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी लगातार कमजोर होती जा रही है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास सिर्फ चार विधायक हैं, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में उसका प्रतिनिधित्व लगभग खत्म हो चुका है। 21 राज्यों में कांग्रेस की सरकार नहीं है और सिर्फ तीन राज्यों में वह अपने बल पर सत्ता में है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्य हाथ से फिसल चुके हैं। टुकड़े-टुकड़े होती छत्तीसगढ़ कांग्रेस: हार की हैट्रिक के बाद गहराया संकट
छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेतृत्व को लेकर मचा घमासान
निकाय चुनावों में हार के बाद पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बयान दिया कि कांग्रेस में आदिवासी नेतृत्व की अनदेखी हो रही है। उनके बयान को इस रूप में देखा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष का पद अब सरगुजा संभाग से किसी को दिया जाना चाहिए। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या आदिवासी नेताओं को लंबे समय तक नजरअंदाज करने वाले कांग्रेस नेता अब एकजुट होकर काम कर पाएंगे? टुकड़े-टुकड़े होती छत्तीसगढ़ कांग्रेस: हार की हैट्रिक के बाद गहराया संकट
क्या कांग्रेस अगले चुनावों में वापसी कर पाएगी?
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती अब यह है कि क्या वह खुद को राज्य में फिर से खड़ा कर पाएगी? अगर पार्टी गुटबाजी, भीतरघात और संगठनात्मक कमजोरियों को नहीं सुधार पाती है, तो भाजपा के लिए अगले 15 साल तक सत्ता में बने रहना आसान हो जाएगा। कांग्रेस को जमीनी स्तर पर संघर्ष करना होगा, नहीं तो उसकी स्थिति और खराब हो सकती है। टुकड़े-टुकड़े होती छत्तीसगढ़ कांग्रेस: हार की हैट्रिक के बाद गहराया संकट









