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शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल: 100% दृष्टिहीन शिक्षक के भरोसे दो कक्षाएं, युक्तियुक्तकरण के दावों पर उठे गंभीर सवाल

जांजगीर-चांपा। शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल: 100% दृष्टिहीन शिक्षक के भरोसे दो कक्षाएं, छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए किए गए ‘युक्तियुक्तकरण’ (Rationalization) के दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। इसका एक जीता-जागता उदाहरण जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम पंचायत तुस्मा का शासकीय जनपद प्राथमिक शाला है, जहां सरकारी नीतियां और जमीनी हकीकत के बीच की खाई साफ नजर आती है।

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यहां पांच कक्षाओं के 51 बच्चों का भविष्य सिर्फ दो शिक्षकों और दो कमरों के भरोसे है, जिनमें से एक शिक्षक 100% दृष्टिहीन हैं।शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल: 100% दृष्टिहीन शिक्षक के भरोसे दो कक्षाएं

दो कमरे, पांच कक्षाएं और एक दृष्टिहीन शिक्षक

तुस्मा के इस प्राइमरी स्कूल में पहली से लेकर पांचवीं तक की कक्षाएं लगती हैं, लेकिन इन सभी के लिए स्कूल में केवल दो कमरे उपलब्ध हैं। पत्रिका की टीम जब स्कूल पहुंची तो देखा कि बच्चों को किस तरह पढ़ाया जा रहा है। एक कमरे में तीन कक्षाओं (तीसरी, चौथी और पांचवीं) के बच्चों को एक साथ लाइन में बिठाकर एक शिक्षक पढ़ा रहे थे।शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल: 100% दृष्टिहीन शिक्षक के भरोसे दो कक्षाएं

वहीं, दूसरे कमरे का दृश्य और भी चौंकाने वाला था। यहां पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को एक 100% दृष्टिहीन शिक्षक ब्रेल लिपि के माध्यम से पढ़ाने को मजबूर थे। यह स्थिति न केवल बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है, बल्कि उस दिव्यांग शिक्षक की चुनौतियों को भी दर्शाती है।शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल: 100% दृष्टिहीन शिक्षक के भरोसे दो कक्षाएं

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पढ़ाई कराएं या डाक बनाएं? हेडमास्टर का दर्द

स्कूल के हेडमास्टर गुरुदयाल साहू ने अपनी बेबसी जाहिर करते हुए कहा, “यहां स्कूल चलाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। हम बच्चों को पढ़ाएं या शासन द्वारा रोज मांगी जाने वाली जानकारी के लिए डाक तैयार करें? हर दिन कोई न कोई जानकारी भेजनी पड़ती है।” उन्होंने आगे कहा, “दूसरे शिक्षक 100 प्रतिशत दृष्टिहीन हैं, ऐसे में उनसे कोई भी अन्य प्रशासनिक काम लेना संभव नहीं है।”शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल: 100% दृष्टिहीन शिक्षक के भरोसे दो कक्षाएं

यह स्थिति दर्शाती है कि शिक्षक शिक्षण कार्य से ज्यादा प्रशासनिक बोझ तले दबे हुए हैं, जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल: 100% दृष्टिहीन शिक्षक के भरोसे दो कक्षाएं

अधिकारियों का तर्क: ‘नियमों के तहत है व्यवस्था’

जब इस मामले पर जिले के शिक्षा अधिकारी (DEO) अश्वनी कुमार भारद्वाज से बात की गई, तो उन्होंने एक चौंकाने वाला जवाब दिया। उन्होंने कहा, “युक्तियुक्तकरण के नियमों के तहत 60 छात्रों पर दो शिक्षकों की व्यवस्था की गई है। इसी नियम के तहत तुस्मा प्राइमरी स्कूल में दो शिक्षकों की पोस्टिंग है। किसी तरह स्कूल का संचालन किया जा रहा है।”शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल: 100% दृष्टिहीन शिक्षक के भरोसे दो कक्षाएं

अधिकारियों का यह जवाब जमीनी हकीकत से बिल्कुल परे है और यह सवाल खड़ा करता है कि क्या कागजी नियम बनाते समय दिव्यांगता और कक्षाओं के लिए कमरों जैसी बुनियादी जरूरतों का ध्यान नहीं रखा जाता? यह मामला पूरी शिक्षा व्यवस्था और सरकारी दावों की पोल खोलता नजर आ रहा है।शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल: 100% दृष्टिहीन शिक्षक के भरोसे दो कक्षाएं

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