स्वास्थ्य

छत्तीसगढ़ में पेयजल की शुद्धता पर विशेष ध्यान, सभी निकायों को दिशा-निर्देश जारी

? छत्तीसगढ़ में पेयजल की शुद्धता पर विशेष ध्यान, सभी निकायों को दिशा-निर्देश जारी

रायपुर :छत्तीसगढ़ सरकार ने गर्मी और मानसून के मद्देनज़र नागरिकों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के माध्यम से सभी शहरी निकायों को सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों में जलस्रोतों की सफाई, जल के नमूनों की जांच और डेंगू-मलेरिया जैसी मौसमी बीमारियों से बचाव पर जोर दिया गया है।छत्तीसगढ़ में पेयजल की शुद्धता पर विशेष ध्यान

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? 15 जून से पहले सभी नलकूपों का करें क्लोरीनीकरण

विभाग ने आदेश दिया है कि 15 जून 2025 से पहले सभी नलकूपों में क्लोरीन या सोडियम हाइपोक्लोराइड डालकर उनका शुद्धिकरण सुनिश्चित किया जाए।छत्तीसगढ़ में पेयजल की शुद्धता पर विशेष ध्यान

  • वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के फिल्टर बेड का संधारण
  • और शहरों की ऊंची पानी टंकियों की सफाई 10 जून तक पूरी की जानी है।

? पानी की टंकी की सफाई वर्ष में कम से कम दो बार अनिवार्य की गई है।

?️ पाइपलाइन लीकेज और सार्वजनिक नलों की सफाई अनिवार्य

पेयजल आपूर्ति से जुड़ी पाइपलाइन में लीकेज या टूट-फूट पाए जाने पर उसकी तत्काल मरम्मत के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही सार्वजनिक नलों और हैण्डपम्पों के आसपास सफाई बनाए रखने और जन-जागरूकता अभियान चलाने को कहा गया है।छत्तीसगढ़ में पेयजल की शुद्धता पर विशेष ध्यान

? डेंगू-मलेरिया से बचाव के लिए भी दिए निर्देश

सरकार ने डेंगू और मलेरिया से बचाव हेतु:

  • कूलर, टंकी, टायर, बर्तन और फ्रिज की ट्रे में जमा पानी हटाने
  • और खाली जगहों को स्वच्छ और जलमुक्त रखने के आदेश दिए हैं।

? सतही जल स्रोतों की क्लोरीन जांच अनिवार्य

जहां पेयजल सतही जल स्रोतों (जैसे नदी या झील) से आपूर्ति हो रही है, वहां वॉटर ट्रीटमेंट के बाद पानी में क्लोरीन की उपयुक्त मात्रा जांचने और वितरण प्रणाली की अंतिम छोर तक जल के नमूने लेकर जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।छत्तीसगढ़ में पेयजल की शुद्धता पर विशेष ध्यान

? नलकूप के जल में दूषण मिले तो करें ब्लीचिंग ट्रीटमेंट

नलकूप आधारित पेयजल योजनाओं में यदि जल नमूना दूषित पाया जाता है तो उसमें

  • ब्लीचिंग पाउडर या सोडियम हाइपोक्लोराइड डालकर
  • एक सप्ताह बाद पुनः परीक्षण किया जाए।
    यदि फिर भी दूषण मिले, तो जल को प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाए और आवश्यकतानुसार उच्च स्तरीय टंकी में ब्लीचिंग घोल डालकर ही आपूर्ति करें।

? कोलीफार्म बैक्टीरिया जांच के लिए सैंपलिंग प्रक्रिया

कोलीफार्म बैक्टीरिया की मौजूदगी वाला जल पीने योग्य नहीं होता। इसके लिए तीन स्तरों पर सैंपलिंग की जाए:-

  1. वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से हर घंटे
  2. स्टोरेज टंकियों से दिन में दो बार
  3. हर बस्ती के 2-3 घरों से प्रतिदिन

यदि कोलीफार्म की पुष्टि होती है तो उस स्रोत से तुरंत जल आपूर्ति रोक दें और केवल शुद्ध जल ही फिर से वितरित करें।छत्तीसगढ़ में पेयजल की शुद्धता पर विशेष ध्यान

? निगरानी व रिकॉर्डिंग होगी अनिवार्य

हर ट्रीटमेंट प्लांट, स्टोरेज टंकी और मलिन बस्ती में रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा:

  • नमूना लेने की तारीख और समय
  • नमूना लेने वाले व्यक्ति का नाम
  • रेसिडुअल क्लोरीन की मात्रा
  • और कोलीफार्म बैक्टीरिया की स्थिति

स्वास्थ्य एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को संदिग्ध मामलों में तुरंत सूचित किया जाएगा और इन विभागों के अधिकारी निरीक्षण और हस्ताक्षर भी करेंगे।छत्तीसगढ़ में पेयजल की शुद्धता पर विशेष ध्यान

 

 

 

 

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