सूचना का अधिकार

सूचना आयुक्त पर ₹40,000 का जुर्माना, RTI आवेदक को मुफ्त मिलेगी ₹2.38 लाख की जानकारी

सूचना आयुक्त पर ₹40,000 का जुर्माना, RTI आवेदक को मुफ्त मिलेगी ₹2.38 लाख की जानकारी

भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी न देने और अपील को अनुचित तरीके से खारिज करने के मामले में सख्त फैसला सुनाया है।
जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने सूचना आयुक्त पर ₹40,000 का जुर्माना लगाया और निर्देश दिया कि आवेदक को बिना किसी शुल्क के पूरी जानकारी दी जाए।सूचना आयुक्त पर ₹40,000 का जुर्माना

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? RTI में ₹2.38 लाख का भारी शुल्क क्यों मांगा गया?

फिल्म निर्माता नीरज निगम ने 26 मार्च 2019 को सूचना के अधिकार (RTI) के तहत एक सरकारी विभाग से जानकारी मांगी थी। लेकिन 30 दिन की निर्धारित समय-सीमा बीतने के बाद भी उन्हें सूचना नहीं मिली।सूचना आयुक्त पर ₹40,000 का जुर्माना

➡️ RTI कानून के अनुसार, 30 दिनों के भीतर सूचना देना अनिवार्य है।
➡️ जब जानकारी नहीं मिली, तो उन्होंने सूचना आयोग में अपील दायर की।
➡️ बजाय समाधान के, अधिकारियों ने ₹2.38 लाख का शुल्क मांगा।

? यह हैरान करने वाला था, क्योंकि RTI अधिनियम के तहत सूचना प्रदान करने के लिए केवल न्यूनतम और वाजिब शुल्क लिया जा सकता है। इतनी अधिक राशि की मांग का मकसद आवेदक को हतोत्साहित करना और जानकारी दबाना था।

⚖️ हाईकोर्ट का सख्त रुख – RTI अधिनियम को मजबूत करने की दिशा में अहम फैसला!

सूचना आयुक्त पर ₹40,000 का जुर्माना, RTI आवेदक को मुफ्त मिलेगी ₹2.38 लाख की जानकारी

जब सूचना आयुक्त ने बिना किसी जांच के अपील को खारिज कर दिया, तो नीरज निगम ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की।सूचना आयुक्त पर ₹40,000 का जुर्माना

सूचना आयुक्त की नियुक्ति में होनी चाहिए पारदर्शिता, रिटायर्ड नौकरशाह ही न भरे जाएं : सुप्रीम कोर्ट

हाईकोर्ट का आर्डर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे –

? हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि
✔️ सूचना आयोग का काम पारदर्शिता को बढ़ावा देना है, लेकिन यहां अपीलकर्ता के अधिकारों की अनदेखी की गई।
✔️ सूचना देने से बचने के लिए अनावश्यक शुल्क लगाना गैर-कानूनी है।
✔️ RTI आवेदक को अब पूरी जानकारी बिना किसी शुल्क के दी जाएगी।
✔️ सूचना आयुक्त पर ₹40,000 का जुर्माना लगाया गया।

? RTI एक्ट के लिए यह फैसला क्यों अहम है?

सूचना आयुक्त पर ₹40,000 का जुर्माना, RTI आवेदक को मुफ्त मिलेगी ₹2.38 लाख की जानकारी

सरकारी विभागों में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
बिना आधार के अपील खारिज करने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी।
आवेदकों को सूचना से वंचित करने के लिए लगाए जाने वाले अवैध शुल्क का पर्दाफाश होगा।

? यह फैसला RTI एक्ट को और अधिक प्रभावी बनाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

? क्या RTI के तहत मांगी गई जानकारी देने में की जा रही देरी अब रुकेगी?
? क्या अन्य मामलों में भी हाईकोर्ट इसी तरह सख्त कदम उठाएगा?

? लेटेस्ट अपडेट्स के लिए जुड़े रहें! ?

 

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