आसमान से आग, धरती में दरारें: छत्तीसगढ़ में सूखे की आहट, किसानों की गुहार- ‘गंगरेल का पानी छोड़ो, फसल बचाओ’

आसमान से आग, धरती में दरारें: छत्तीसगढ़ में सूखे की आहट, किसानों की गुहार- ‘गंगरेल का पानी छोड़ो, फसल बचाओ’
छत्तीसगढ़ में सूखे की आहट, किसानों की गुहार- ‘गंगरेल का पानी छोड़ो, फसल बचाओ’, छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में किसानों की आंखें आसमान पर टिकी हैं, लेकिन बादल हैं कि बरसने का नाम ही नहीं ले रहे। मानसून की बेरुखी ने अन्नदाताओं के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। खेतों में गहरी दरारें पड़ चुकी हैं और धान की लहलहाती फसल पीली पड़कर दम तोड़ रही है। किसानों ने अब सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए गंगरेल बांध से पानी छोड़ने की मांग की है।
खेतों में दरारें, दम तोड़ रही धान की फसल
पिछले 15 दिनों से जिले में बारिश की एक बूंद नहीं गिरी है। इसका नतीजा यह है कि खेतों की नमी पूरी तरह खत्म हो चुकी है और धरती फटने लगी है। एक अनुमान के मुताबिक, जिले के 70% से अधिक खेत सूखने की कगार पर हैं। किसानों की महीनों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है, क्योंकि धान के पौधे सिंचाई के अभाव में मुरझाकर पीले पड़ने लगे हैं।छत्तीसगढ़ में सूखे की आहट, किसानों की गुहार- ‘गंगरेल का पानी छोड़ो, फसल बचाओ’
डीजल और बिजली का बढ़ता बोझ, कर्ज में डूब रहा किसान
अपनी फसल को बचाने की आखिरी कोशिश में किसान दिन-रात एक किए हुए हैं। वे तीन से चार पंप लगाकर किसी तरह खेतों तक पानी पहुंचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। लेकिन यह कोशिश उनकी जेब पर भारी पड़ रही है। डीजल और बिजली का खर्च इतना बढ़ गया है कि खेती की लागत दोगुनी हो गई है। छोटे और मझोले किसानों के लिए यह अतिरिक्त बोझ उठाना लगभग नामुमकिन हो गया है, जिससे उन पर कर्ज का संकट गहराने लगा है।छत्तीसगढ़ में सूखे की आहट, किसानों की गुहार- ‘गंगरेल का पानी छोड़ो, फसल बचाओ’
अब बस एक ही आस – ‘गंगरेल बांध से मिले पानी’
निराशा के इस आलम में किसानों को अब सिर्फ प्रशासन से ही उम्मीद है। उन्होंने एकजुट होकर सरकार से मांग की है कि गंगरेल बांध से नहरों में तुरंत पानी छोड़ा जाए, ताकि उनकी मरती हुई फसल को जीवनदान मिल सके। किसानों ने साफ चेतावनी दी है कि अगर एक हफ्ते के भीतर नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया, तो उनकी पूरी फसल चौपट हो जाएगी और वे बर्बाद हो जाएंगे।छत्तीसगढ़ में सूखे की आहट, किसानों की गुहार- ‘गंगरेल का पानी छोड़ो, फसल बचाओ’
मेहनत और कर्ज के बीच फंसा अन्नदाता
यह संकट सिर्फ किसानों की मेहनत का नहीं, बल्कि पूरे जिले की अर्थव्यवस्था का है। अगर फसल बर्बाद हुई तो किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा, बाजार में धान की आवक घटेगी और महंगाई बढ़ेगी। अब देखना यह है कि प्रशासन किसानों की इस गुहार पर कितनी जल्दी कार्रवाई करता है और अन्नदाता को इस सूखे के संकट से उबार पाता है।छत्तीसगढ़ में सूखे की आहट, किसानों की गुहार- ‘गंगरेल का पानी छोड़ो, फसल बचाओ’









