स्वास्थ्यदुर्ग

दुर्ग मेडिकल कॉलेज में बड़ा विवाद: MD/MS डॉक्टरों को नजरअंदाज कर डेंटिस्ट को बनाया अस्पताल अधीक्षक, नियमों की अनदेखी पर उठे सवाल

दुर्ग मेडिकल कॉलेज में बड़ा विवाद: MD/MS डॉक्टरों को नजरअंदाज कर डेंटिस्ट को बनाया अस्पताल अधीक्षक, नियमों की अनदेखी पर उठे सवाल

दुर्ग मेडिकल कॉलेज में बड़ा विवाद: MD/MS डॉक्टरों को नजरअंदाज कर डेंटिस्ट को बनाया अस्पताल अधीक्षक, छत्तीसगढ़ के दुर्ग स्थित चंदूलाल चंद्राकर सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक हैरान करने वाला फैसला लिया गया है, जिससे पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कॉलेज से जुड़े अस्पताल के अधीक्षक पद पर एक डेंटिस्ट की नियुक्ति कर दी गई है, जबकि इस पद के लिए MD-MS डिग्रीधारी विशेषज्ञ डॉक्टरों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया। इस फैसले को नियमों के खिलाफ बताया जा रहा है।

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सीनियर डॉक्टरों को छोड़ डेंटिस्ट को दी कमान

यह मामला तब सामने आया जब जून में अस्पताल की अधीक्षक डॉ. जयंती चंद्राकर का तबादला रायपुर के पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में हो गया। उनके खाली हुए पद पर डेंटल विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कुलदीप सांगा को अस्पताल अधीक्षक का प्रभार सौंप दिया गया। डॉ. सांगा पहले उप-अधीक्षक के पद पर थे, लेकिन प्रबंधन ने किसी अन्य योग्य फैकल्टी को जिम्मेदारी देने के बजाय उन्हें ही अधीक्षक बना दिया।दुर्ग मेडिकल कॉलेज में बड़ा विवाद: MD/MS डॉक्टरों को नजरअंदाज कर डेंटिस्ट को बनाया अस्पताल अधीक्षक

अस्पताल में सुगबुगाहट, पर खुलकर बोलने को कोई तैयार नहीं

इस नियुक्ति को लेकर अस्पताल के भीतर डॉक्टरों और स्टाफ में चर्चाओं का बाजार गर्म है, लेकिन कोई भी खुले तौर पर इसका विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। यह प्रदेश के इतिहास में पहली बार है जब किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल में किसी डेंटिस्ट को अधीक्षक जैसा महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद दिया गया हो। आमतौर पर डेंटल विभाग अस्पताल का हिस्सा तो होता है, लेकिन उसकी फैकल्टी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी जाती।दुर्ग मेडिकल कॉलेज में बड़ा विवाद: MD/MS डॉक्टरों को नजरअंदाज कर डेंटिस्ट को बनाया अस्पताल अधीक्षक

प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल: 25 सालों से क्यों नहीं हुई कोई स्थायी नियुक्ति?

यह विवाद सिर्फ एक नियुक्ति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था में गहरी पैठ बना चुकी एक बड़ी खामी को भी उजागर करता है। पिछले 25 सालों में राज्य के किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्थायी अधीक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है। लोक सेवा आयोग (PSC) के जरिए एक बार भी विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक नहीं हुई, जिसके चलते रायपुर के अंबेडकर जैसे सबसे बड़े अस्पताल से लेकर बाकी सभी 9 सरकारी मेडिकल कॉलेज भी प्रभारी अधीक्षकों के भरोसे ही चल रहे हैं। जबकि नियमों में स्थायी अधीक्षक की नियुक्ति और उन्हें अलग से भत्ता देने का भी प्रावधान है।दुर्ग मेडिकल कॉलेज में बड़ा विवाद: MD/MS डॉक्टरों को नजरअंदाज कर डेंटिस्ट को बनाया अस्पताल अधीक्षक

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विभाग का तर्क: “फैकल्टी की कमी के चलते लिया फैसला”

इस विवाद पर चिकित्सा शिक्षा निदेशक (DME) डॉ. यूएस पैकरा ने अपनी सफाई में कहा, “दुर्ग मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की कमी है, इसलिए एक सीनियर डेंटिस्ट को अस्पताल अधीक्षक का प्रभार दिया गया है। जब फैकल्टी की भर्ती हो जाएगी, तब किसी पात्र डॉक्टर को यह नई जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी।”दुर्ग मेडिकल कॉलेज में बड़ा विवाद: MD/MS डॉक्टरों को नजरअंदाज कर डेंटिस्ट को बनाया अस्पताल अधीक्षक

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