नारायणपुर

नारायणपुर में नक्सलियों का ‘घर वापसी’ अभियान: 16 ने छोड़ा आतंक का दामन, उजागर हुई महिला नक्सलियों के शोषण की कड़वी सच्चाई

नारायणपुर: नारायणपुर में नक्सलियों का ‘घर वापसी’ अभियान: 16 ने छोड़ा आतंक का दामन, उजागर हुई महिला नक्सलियों के शोषण की कड़वी सच्चाई, छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में सुरक्षाबलों के अथक प्रयासों और पुनर्वास नीतियों की सफलता का एक और बड़ा प्रमाण देखने को मिला है। बुधवार को एसपी कार्यालय में 16 नक्सलियों ने आतंक का रास्ता छोड़ समाज की मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया। यह आत्मसमर्पण एक ऐसे समय में हुआ है जब सुरक्षाबल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार दबाव बनाए हुए हैं, जिससे नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले सैफ हाऊस लंका और डूंगा जैसे क्षेत्रों से भी लोग मुख्यधारा में जुड़ने को प्रेरित हो रहे हैं।

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‘स्लीपर सेल’ की तरह करते थे काम

आत्मसमर्पण करने वाले इन नक्सलियों में से अधिकांश ऐसे थे जो प्रत्यक्ष रूप से हथियारबंद लड़ाई में शामिल नहीं थे, लेकिन वे नक्सलवाद को पोषित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। उन्होंने खुलासा किया कि वे ‘स्लीपर सेल’ की तरह काम करते थे। इनके पद भले ही छोटे होते थे, लेकिन इनका काम बेहद अहम था:

  • रसद और दवाएं: ये अवैतनिक तरीके से लड़ाकू नक्सलियों के लिए राशन, दवाएं और अन्य मूलभूत सामग्री उपलब्ध कराते थे।

  • हथियार परिवहन: हथियारों और अन्य सामग्रियों के परिवहन में भी इनकी भूमिका रहती थी।

  • आईईडी प्लांटिंग: कई बार आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) लगाने में भी ये मदद करते थे।

  • खुफिया जानकारी: सुरक्षाबलों की गतिविधियों पर नजर रखना, उनकी रेकी करना और माओवादी लीडर्स को महत्वपूर्ण सूचनाएं देना इनका प्राथमिक कार्य था।

यह खुलासा दर्शाता है कि नक्सली संगठन केवल बंदूकधारी कैडरों से नहीं चलता, बल्कि एक विस्तृत नेटवर्क पर आधारित होता है जिसमें ऐसे लोग भी शामिल होते हैं जो बाहर से सामान्य दिखते हैं लेकिन अंदर से नक्सलवाद की जड़ों को मजबूत करते हैं।16 ने छोड़ा आतंक का दामन, उजागर हुई महिला नक्सलियों के शोषण की कड़वी सच्चाई

शीर्ष कैडर के झूठ और आदिवासियों का शोषण

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने संगठन के भीतर के कड़वे सच को भी उजागर किया। उन्होंने बताया कि शीर्ष कैडर के माओवादी लीडर्स ही आदिवासियों के सबसे बड़े दुश्मन हैं। ये लोग ‘समानता और न्याय’ के झूठे सपने दिखाकर बस्तर के भोले-भाले लोगों को गुलाम बनाते हैं और अपने स्वार्थ के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं। यह बयान उन दावों की पोल खोलता है जिसमें नक्सली खुद को आदिवासियों का हितैषी बताते हैं।16 ने छोड़ा आतंक का दामन, उजागर हुई महिला नक्सलियों के शोषण की कड़वी सच्चाई

एसपी रोबिनसन गुरिया ने इस बात पर जोर दिया कि उनका मुख्य उद्देश्य अबूझमाड़ के दुर्गम जंगलों और विकट भौगोलिक परिस्थितियों में रहने वाले मूल निवासियों को नक्सलवादी विचारधारा से बचाना है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य उन्हें माओवादी सिद्धांतों के आकर्षण से बाहर निकालना है ताकि क्षेत्र में विकास और शांति कायम हो सके।”16 ने छोड़ा आतंक का दामन, उजागर हुई महिला नक्सलियों के शोषण की कड़वी सच्चाई

महिला नक्सलियों का नारकीय जीवन: एक भयावह सच्चाई

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने संगठन के भीतर महिला नक्सलियों के साथ होने वाले भयावह शोषण का भी खुलासा किया, जो बेहद चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि संगठन में स्थानीय मूल के नक्सलियों का तो शोषण होता ही है, लेकिन महिला नक्सलियों का जीवन तो पूरी तरह नर्क बन चुका है। उनका शारीरिक और मानसिक दोनों तरीके से भरपूर शोषण होता है।16 ने छोड़ा आतंक का दामन, उजागर हुई महिला नक्सलियों के शोषण की कड़वी सच्चाई

खुलासे के अनुसार, अधिकतर नक्सली लीडर्स उन्हें शहरों या विदेशों में बसाने के झूठे सपने दिखाते हैं और फिर उनके साथ व्यक्तिगत दासी की तरह व्यवहार करते हैं। यह जानकारी उन दावों को झुठलाती है जिसमें नक्सली संगठन महिला सशक्तिकरण की बात करता है। यह खुलासा दिखाता है कि संगठन के भीतर महिलाओं को केवल एक वस्तु के रूप में देखा जाता है और उनका निर्ममता से शोषण किया जाता है।16 ने छोड़ा आतंक का दामन, उजागर हुई महिला नक्सलियों के शोषण की कड़वी सच्चाई

पुनर्वास और प्रोत्साहन राशि

आत्मसमर्पण करने वाले सभी 16 नक्सलियों को तत्काल प्रभाव से 50-50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि का चेक प्रदान किया गया। इसके साथ ही, एसपी रोबिनसन गुरिया ने आश्वासन दिया कि उन्हें राज्य सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति के तहत मिलने वाली सभी प्रकार की सुविधाएं दिलाई जाएंगी। इन सुविधाओं में मुख्य रूप से आजीविका सहायता, पुनर्वास पैकेज, प्रशिक्षण और समाज की मुख्यधारा में फिर से जुड़ने के लिए आवश्यक समर्थन शामिल है।16 ने छोड़ा आतंक का दामन, उजागर हुई महिला नक्सलियों के शोषण की कड़वी सच्चाई

वर्ष 2025 में अब तक कुल 164 बड़े/छोटे कैडर के माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है, जो सुरक्षाबलों की रणनीति और सरकार की पुनर्वास नीति की सफलता को दर्शाता है। यह आंकड़ा बताता है कि नक्सलवाद की कमर तोड़ने में सुरक्षाबलों को लगातार सफलता मिल रही है।16 ने छोड़ा आतंक का दामन, उजागर हुई महिला नक्सलियों के शोषण की कड़वी सच्चाई

एसपी की भावुक अपील

एसपी रोबिनसन गुरिया ने सभी नक्सली भाई-बहनों से भावुक अपील की है कि वे बाहरी लोगों की भ्रामक बातों और विचारधारा को त्याग दें। उन्होंने उनसे शासन की आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति को अपनाने और समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर सम्मानजनक जीवन जीने का आग्रह किया। उनका संदेश स्पष्ट है: हिंसा का रास्ता छोड़ दें, सरकार आपके साथ है और आपको एक बेहतर भविष्य प्रदान करने के लिए तैयार है।16 ने छोड़ा आतंक का दामन, उजागर हुई महिला नक्सलियों के शोषण की कड़वी सच्चाई

नारायणपुर में हुए इन आत्मसमर्पणों से यह उम्मीद जगी है कि अब और भी नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति और विकास की राह पर चलेंगे, जिससे अबूझमाड़ सहित पूरे बस्तर क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित हो सकेगी। यह घटनाक्रम न केवल सुरक्षाबलों के मनोबल को बढ़ाएगा, बल्कि यह भी दर्शाता है कि नक्सलवाद अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है।16 ने छोड़ा आतंक का दामन, उजागर हुई महिला नक्सलियों के शोषण की कड़वी सच्चाई

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