सागर यूनिवर्सिटी भर्ती घोटाला: 82 पदों पर 157 असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति, हाईकोर्ट ने फैसला किया रद्द

सागर, मध्य प्रदेश। सागर यूनिवर्सिटी भर्ती घोटाला: 82 पदों पर 157 असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति, हाईकोर्ट ने फैसला किया रद्द, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में वर्षों से चल रहे एक बड़े भर्ती घोटाले पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय द्वारा 82 विज्ञापित पदों के विरुद्ध की गई 157 असिस्टेंट प्रोफेसरों की अवैध नियुक्ति को नियमित करने के प्रयास को खारिज कर दिया है। इस फैसले से उन योग्य उम्मीदवारों में न्याय की उम्मीद जगी है, जो वर्षों से अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे।
यह पूरा मामला विश्वविद्यालय की उस भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा है जो शुरुआत से ही विवादों में रही है। विश्वविद्यालय ने न केवल विज्ञापित पदों से लगभग दोगुनी भर्तियां कीं, बल्कि 9 ऐसे विभागों में भी असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त कर दिए, जहां कोई पद खाली ही नहीं था। सागर यूनिवर्सिटी भर्ती घोटाला
कार्य परिषद के मनमाने फैसले को कोर्ट ने किया खारिज
दरअसल, हाईकोर्ट पहले ही वर्ष 2013 से पहले हुई इन नियुक्तियों को अवैध ठहरा चुका था। इसके बाद कुलाध्यक्ष (Visitor) ने सभी उम्मीदवारों का पुन: साक्षात्कार और पुनर्मूल्यांकन करने की सलाह दी थी, जिस पर विश्वविद्यालय 2020 में सहमत भी हो गया था। सागर यूनिवर्सिटी भर्ती घोटाला
लेकिन 14 नवंबर 2022 को विश्वविद्यालय की कार्य परिषद (Executive Council) ने एक चौंकाने वाला फैसला लिया। परिषद ने यह तर्क देते हुए कि 13 साल बाद फिर से साक्षात्कार करना व्यावहारिक नहीं है और नियुक्त हो चुके प्रोफेसर “मानसिक पीड़ा” झेल चुके हैं, 82 पदों पर की गई नियुक्तियों को स्थायी करने का निर्णय ले लिया। इसी फैसले की आड़ में विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुल 157 नियुक्तियों को सही ठहराने का प्रयास किया। हाईकोर्ट ने कार्य परिषद के इसी मनमाने और अवैध निर्णय को रद्द कर दिया है। सागर यूनिवर्सिटी भर्ती घोटाला
भर्ती प्रक्रिया में शुरू से ही थीं गंभीर खामियां
यह भर्ती घोटाला सुनियोजित तरीके से किया गया था, जिसमें कई नियमों का उल्लंघन हुआ:
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अस्पष्ट विज्ञापन: 2010 में जारी विज्ञापन में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि किस विभाग में किस वर्ग के लिए कितने पद खाली हैं।
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गोपनीय इंटरव्यू: साक्षात्कार की प्रक्रिया अत्यंत गोपनीय ढंग से सागर के बजाय दिल्ली में आयोजित की गई।
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रोस्टर का उल्लंघन: भर्ती में आरक्षण के रोस्टर नियमों का पालन नहीं किया गया।
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फर्जी दस्तावेज: जांच में सामने आया कि 2019 में 4 प्रोफेसरों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी से निकाला गया था। इनमें पत्रकारिता विभाग का एक प्रोफेसर नकली मार्कशीट के आधार पर नौकरी कर रहा था।
अभी भी कार्यरत हैं 94 प्रोफेसर
जानकारी के अनुसार, विवादित 157 नियुक्तियों में से 94 असिस्टेंट प्रोफेसर अभी भी विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं और इनमें से कई को प्रमोशन भी मिल चुका है। इस फैसले के बाद इन सभी की नियुक्ति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सागर यूनिवर्सिटी भर्ती घोटाला
याचिकाकर्ता डॉ. दीपक गुप्ता ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “हमें इस फैसले का वर्षों से इंतजार था। अब मेरिट के आधार पर नियुक्ति का रास्ता साफ होगा और योग्य लोगों के साथ न्याय होगा। उम्मीद है कि विश्वविद्यालय नवंबर तक पुन: नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करेगा।” सागर यूनिवर्सिटी भर्ती घोटाला









