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बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला : बृजेन्द्र तिवारी

बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला : बृजेन्द्र तिवारी

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने मोदी 3.0 सरकार का पहला बजट खाद्य वस्तुओं की बढ़ती मंहगाई, रुके हुए आर्थिक विकास, घटते रोजगार, गिरता रुपया, आम जन की घटती क्रय शक्ति, किसानों के आन्दोलन और विकासमान अर्थव्यस्थाओं पर ट्रम्प के अमेरिकी प्रशासन की धमकियों के बीच पेश किया है.बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला

जनता एक ऐसा राहत देने वाला बजट चाहती थी जिसमें बढ़ रही आर्थिक विषमता कम हो और आम जन की क्रय शक्ति बढ़े. लेकिन भाजपा सरकार ने पिछली गलतियां सुधारने की बजाय इस बार भी अमीर परस्त बजट ही पेश किया है.बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला

मध्यम वर्ग को आयकर में कुछ राहत मिली है, लेकिन मजदूरों, किसानों और आम मेहनतकश जनता को मुश्किल हालातों में ऐसे ही छोड़ दिया गया है जो चिन्ताजनक है. उन्हें राहत देने के लिए आवश्यक उपभोक्ता सामग्री पर जीएसटी में कमी करने और जनकल्याण योजनाओं में खर्च बढ़ाने की जरूरत को अनदेखा किया गया है. कॉरपोरेटों और अमीरों पर टैक्स बढ़ाने के लिए सरकार में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी साफ तौर पर उजागर हो रही है. निजी क्षेत्र के लगातार बढ़ रहे मुनाफे के बावजूद सरकार की प्राथमिकता अमीरों पर टैक्स बढ़ाने की जगह जनकल्याण, सामाजिक, कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च कम करने की है. यह बिल्कुल जनविरोधी दिशा है.बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला

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केन्द्रीय योजनाओं पर सरकार ने पिछले साल बजट में घोषित मद से 93,978 करोड़ कम खर्च किये. प्रधानमंत्री आवास योजना और नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वाटर मिशन पर पिछले साल घोषित राशि का मात्र 50 प्रतिशत से भी कम खर्च किया गया. मनरेगा, ग्राम सड़क योजना, अनुसूचित जाति के लिए स्कॉलरशिप आदि में भी इस बार अपेक्षा से कम राशि दी गई है. स्वस्थ्य महिला और बाल विकास पर भी पूरी आवंटित राशि खर्च नहीं की गई थी.बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला

इस साल के बजट में कृषि और किसान कल्याण विभाग का आवंटन, खाद्य और जनवितरण विभाग के बजट में भी अपेक्षा के अनुरूप खर्च नहीं किया गया है.बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला

स्किल डेवलपमेंट और एन्टरप्रिन्योरशिप के नाम पर पिछले बजट में काफी कुछ कहा गया था, लेकिन इस मद में दिये गये 1435 करोड़ में से सरकार ने मात्र 669 करोड़ की खर्च किये.बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला

स्वास्थ्य पर भी वास्तविक खर्च पिछले साल की गई घोषणा से कम रहा. आशा, आंगनबाड़ी, मिडडे मील व अन्य स्कीम वर्कर्स की नियमित करने और कम से कम न्यूनतम मजदूरी देने की मांग को फिर से नकार दिया गया है, जो चिन्ताजनक है.बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला

सरकार ने बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश को 100 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, जबकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में आवंटन घटाया है. जाहिर है देश के किसान और आम जन को बड़े निजी कारपोरेशनों की दया पर छोड़ा जा रहा है.बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला

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बिहार लम्बे समय से विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहा है, मोदी सरकार ने भी यही वायदा किया था. लेकिन इस बार भी मोदी सरकार ने वायदाखिलाफी की है. राज्य के लिए घोषित मखाना बोर्ड जैसी योजनायें बिहार के समग्र विकास के लिए पर्याप्त नहीं हो सकतीं.बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला

सरकार ने पिछले साल पूंजीगत निवेश बढ़ाने की घोषणा कर खुद ही अपनी तारीफों के पुल बांध दिये थे, लेकिन सच्चाई सामने आ रही है कि घोषणा से 1.84 लाख करोड़ रुपये कम खर्च किये गये है!बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला

इस बजट में जरूरी क्षेत्रों में खर्च न बढ़ा कर सरकार की गलत दिशा में जारी प्राथमिकतायें फिर से उजागर हुई हैं. आंकड़े स्पष्ट बता रहे हैं कि कुल बजट खर्च में दिख रही बढ़ोतरी का करीब 40 प्रतिशत तो लिये गये कर्ज का अतिरिक्त ब्याज चुकाने में ही खर्च हो जायेगा. जबकि जरूरतमंद आम जन पर बोझ बढ़ता जा रहा है, वहीं जीएसटी व इन्कम टैक्स की हिस्सेदारी कॉरपोरेट टैक्स से ज्यादा हो रही है.बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला

आज पेश बजट 2025—26 मोदी सरकार की अपने क्रोनी पूंजीपतियों और कॉरपोरेट क्षेत्र के पक्ष में जारी आर्थिक अराजकता को पुन: स्थापित कर रहा है. मजदूरों की वास्तविक मजदूरी दर में आयी कमी और उनके नियमित रोजगार के कम हो रहे अवसर की सच्चाई को अनदेखा किया गया है, जबकि सरकार जानती है कि कॉरपोरेट टैक्स का मुनाफा चार गुना तक बढ़ गया है, फिर भी सरकार कॉरपोरेटों पर टैक्स नहीं बढ़ाना चाहती.बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला

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ऐसे में यह बजट वर्तमान आर्थिक विषमता बढ़ाने वाला, मजदूरी दर और रोजगार के अवसरों पर हमला करते हुए कॉरपोरेटों के मुनाफे को और बढ़ाने वाला बजट है.बजट 2025 : अतिधनाड्यों को राहत देकर जरूरतमंदों का बोझ बढ़ाने वाला

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