सूचना का अधिकार

राज्य सूचना आयोग पर गंभीर आरोप: बिना हस्ताक्षर वाले आदेश से गहराया विवाद

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर से उभरा मामला, आरटीआई कार्यकर्ता ने उठाई पारदर्शिता पर सवाल

राज्य सूचना आयोग पर गंभीर आरोप: बिना हस्ताक्षर वाले आदेश से गहराया विवाद, मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अशोक श्रीवास्तव ने आयोग पर आदेश से मुकरने और बिना हस्ताक्षर वाला पत्र भेजने का आरोप लगाया है, जो न्यायिक प्रक्रिया की खुली अवहेलना मानी जा रही है।

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कैशबुक जानकारी न देने का मामला

राज्य सूचना आयोग पर गंभीर आरोप: बिना हस्ताक्षर वाले आदेश से गहराया विवाद
यह पूरा मामला आरटीआई कार्यकर्ता अशोक श्रीवास्तव द्वारा वन विभाग से 2017 से 2022 तक की कैशबुक की जानकारी मांगने से जुड़ा है। जन सूचना अधिकारी ने पहले जानकारी देने से इनकार कर दिया, और प्रथम अपील में भी कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद मामला राज्य सूचना आयोग पहुंचा, जहां तत्कालीन राज्य सूचना आयुक्त धनवेंद्र जायसवाल ने स्पष्ट आदेश दिया कि मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराई जाए।राज्य सूचना आयोग पर गंभीर आरोप: बिना हस्ताक्षर वाले आदेश से गहराया विवाद

आदेश की अवहेलना और नई शिकायत

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हालांकि, वनमंडल बैकुंठपुर के अधिकारियों ने आयोग के आदेश की खुलेआम अवहेलना की और कैशबुक उपलब्ध कराने के बजाय केवल परिक्षेत्रों की सूची भेज दी। इससे नाराज होकर अशोक श्रीवास्तव ने आयोग में अवमानना की शिकायत दर्ज कराई।राज्य सूचना आयोग पर गंभीर आरोप: बिना हस्ताक्षर वाले आदेश से गहराया विवाद

बिना हस्ताक्षर वाला ‘नया’ आदेश

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चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब आयोग ने शिकायत पर 24 फरवरी 2025 को एक नया आदेश जारी किया, जो शिकायतकर्ता को 19 जुलाई 2025 को मिला। इस आदेश में सूचना आयुक्त आलोक चंद्रवंशी का नाम तो था, लेकिन उनके हस्ताक्षर गायब थे। आदेश पर केवल एक अनाम “स्टाफ ऑफिसर” का उल्लेख था।राज्य सूचना आयोग पर गंभीर आरोप: बिना हस्ताक्षर वाले आदेश से गहराया विवाद

आरटीआई कार्यकर्ता का आरोप और हाईकोर्ट का हवाला

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अशोक श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि यह न केवल आरटीआई कानून की भावना के खिलाफ है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की भी खुली अवहेलना है। उन्होंने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के 5 मार्च 2025 के आदेश (WP 29100/2023) का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि बिना हस्ताक्षर वाले आदेश शून्य (Void) माने जाएंगे और केंद्रीय सूचना आयोग पर 40,000 का जुर्माना भी लगाया गया था।राज्य सूचना आयोग पर गंभीर आरोप: बिना हस्ताक्षर वाले आदेश से गहराया विवाद

श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक, रायपुर ने 8 जुलाई 2021 को सभी डीएफओ को कैशबुक, बैंक रिकॉन्सिलिएशन स्टेटमेंट और चेक ड्रॉ रजिस्टर अनिवार्य रूप से संधारित करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद आयोग ने झूठे आधार पर यह कह दिया कि “वनमंडल कार्यालय में कैशबुक संधारित नहीं होती।”राज्य सूचना आयोग पर गंभीर आरोप: बिना हस्ताक्षर वाले आदेश से गहराया विवाद

भ्रष्ट तंत्र की आशंका और राज्यपाल-मुख्यमंत्री को शिकायत
आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है कि आयोग ने खुले तौर पर जन सूचना अधिकारी का पक्ष लिया और झूठी दलीलों पर आदेश पारित किया। यह आयोग में सक्रिय निचले स्तर के भ्रष्ट तंत्र की ओर इशारा करता है, जो सूचना न देने के लिए आदेशों तक में छेड़छाड़ कर रहा है।राज्य सूचना आयोग पर गंभीर आरोप: बिना हस्ताक्षर वाले आदेश से गहराया विवाद

यह पूरा मामला अब सीधे राज्यपाल और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तक पहुंच गया है। अशोक श्रीवास्तव ने इस प्रकरण की स्वतंत्र उच्च स्तरीय जांच, दोषियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई और आयोग की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की है। उन्होंने राज्यपाल के अधीन एक स्वतंत्र प्रकोष्ठ बनाने की भी मांग की है, जो आरटीआई अनुपालन की निगरानी करे।राज्य सूचना आयोग पर गंभीर आरोप: बिना हस्ताक्षर वाले आदेश से गहराया विवाद

यह प्रकरण छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि समय रहते हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो पारदर्शिता का यह ऐतिहासिक कानून सिर्फ कागजों में सिमटा रहेगा।राज्य सूचना आयोग पर गंभीर आरोप: बिना हस्ताक्षर वाले आदेश से गहराया विवाद

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