जानिए आखिर कितने प्रकार के होते हैं तुलसी के पौधे?

NCG NEWS DESK;
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का बेहद महत्व है. ऐसा माना जाता है कि तुलसी की पूजा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है. मंदिरों और लोगों के घरों में आपको तुलसी का पौधा मिल ही जाएगा, जिसकी लोग पूजा करते हैं. हिंदू धर्म में हर साल कार्तिक महीने की एकादशी पर तुलसी विवाह भी किया जाता है. धार्मिक ग्रंथों की मानें तो तुलसी का पौधा सकारात्मकता प्रतीक है.और तुलसी का पौधा न सिर्फ सकारात्मकता बल्कि औषधि के तौर पर भी सदियों से इस्तेमाल किया जाता है. आयुर्वेद में तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल कई सारे घरेलू नुस्खों में किया जाता है|
आमतौर पर तुलसी की 60 से भी ज्यादा प्रजातियां हैं, जो भारत समेत दुनियाभर में पाई जाती हैं, इनमें से ज्यादातर प्रजातियां हिमालय और मिडल ईस्ट में पाई जाती हैं. तुलसी की लंबाई तीन फीट या उससे ज्यादा की लंबाई हो सकती है. हालांकि, बात करें भारत की तो यहां चार तरह की तुलसी ज्यादा चर्चा में रहती हैं. आइए जानते हैं-
श्यामा तुलसी– ऐसा कहा जाता है कि श्यामा तुलसी का नाम इसकी बैंगनी पत्तियों के कारण पड़ा है. वेदों के अनुसार भगवान कृष्ण का रंग भी श्याम वर्ण का है. श्यामा तुलसी को गले के संक्रमण और खांसी में राहत दिलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
रामा तुलसी- लोगों के घरों में रामा तुलसी भी आसानी से मिल जाएगी. ये तुलसी बंगाल, बिहार के अलावा चीन और ब्राजील में भी पाई जाती हैं. रामा तुलसी अपने कूलिंग टेस्ट से लिए जानी जाती है.
वन तुलसी- वन तुलसी भारत, श्रीलंका, जावा और अफ्रीका के उत्तरी हिस्से में पाई जाती है. वन तुलसी रामा और श्यामा तुलसी से अलग होती है. इसमें एंटी एजिंग तत्व पाए जाते हैं.
कपूर तुलसी- कपूर तुलसी अपनी भीनी-भीनी खुशबू के लिए जानी जाती है. कपूर तुलसी का इस्तेमाल मलेरिया, डायरिया, ब्रोंकाइटिस और स्किन से जुड़ी दिक्कतों में किया जाता है.
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