निहारिका टाइम्स: पत्रकारिता के नाम पर फर्जीवाड़ा, सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाने की सुनियोजित साजिश का पर्दाफाश

? निहारिका टाइम्स: पत्रकारिता के नाम पर फर्जीवाड़ा, सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाने की सुनियोजित साजिश का पर्दाफाश
? हर शाम वायरल होती है फर्जी पीडीएफ — जनता से लेकर अधिकारी तक हो रहे गुमराह
हर रोज़ शाम होते ही व्हाट्सऐप ग्रुप और सोशल मीडिया पर एक कथित अखबार — “निहारिका टाइम्स” — की पीडीएफ फाइल धड़ल्ले से शेयर होती है। इसे देखने वाले आम नागरिक ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक अधिकारी, मंत्री, जनप्रतिनिधि और पुलिसकर्मी तक इसे एक वैध दैनिक समाचार पत्र समझने की भूल कर बैठते हैं। लेकिन जब इसकी हकीकत सामने आती है, तो यह सिर्फ एक फर्जीवाड़े का जरिया साबित होता है।निहारिका टाइम्स: पत्रकारिता के नाम पर फर्जीवाड़ा
? RNI रिकॉर्ड से खुला राज — न तो अखबार रजिस्टर्ड, न ही वैध प्रकाशन
RNI (रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज़पेपर फॉर इंडिया) के अनुसार, “Niharika Times” का टाइटल कोड RAJBIL26981 सिर्फ “पाक्षिक” (Fortnightly) प्रकाशन के रूप में स्वीकृत है, वह भी केवल रजिस्ट्रेशन के लिए — यानी अभी तक इसका कोई वैध पब्लिकेशन स्थल, मुद्रक, प्रकाशक या प्रमाणित प्रकाशन रिपोर्ट RNI के रिकॉर्ड में दर्ज ही नहीं है।निहारिका टाइम्स: पत्रकारिता के नाम पर फर्जीवाड़ा
? इसका सीधा मतलब: “निहारिका टाइम्स” कानूनी रूप से कोई दैनिक अखबार नहीं है।
? RTI से खुली परतें — कोई छपाई नहीं, कोई पंजीकरण नहीं
राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक एवं मानवाधिकार संगठन की टीम ने जब सूचना का अधिकार (RTI) के माध्यम से RNI और जोधपुर संभाग के सभी जिला सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालयों से जानकारी मांगी, तो जवाब साफ था:
- इस नाम से कोई अखबार नहीं छप रहा है।
- किसी कार्यालय को इसकी प्रति प्राप्त नहीं होती।
- और किसी पत्रकार का पंजीकरण भी इस नाम से नहीं है।
⚖️ कानून की धज्जियां — PRB एक्ट और IPC की कई धाराओं का खुला उल्लंघन
“निहारिका टाइम्स” निम्न कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करता है:
- PRB Act, 1867 – बिना वैध रजिस्ट्रेशन और डिक्लेरेशन के कोई अखबार छापा नहीं जा सकता।
- IPC धारा 318(4), 336(3), 336(4) – फर्जी दस्तावेज बनाना, धोखाधड़ी और मानहानि अपराध हैं।
- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दिशा-निर्देश – सोशल मीडिया न्यूज़ प्लेटफॉर्म खुद को रजिस्टर्ड अखबार नहीं कह सकते जब तक वैध प्रमाण पत्र न हो।
? सोशल मीडिया बना हथियार — खबरें नहीं, बदले और ब्लैकमेल का मंच
“निहारिका टाइम्स” के फेसबुक और ट्विटर पेज पत्रकारिता का नहीं, बल्कि व्यक्तिगत बदले, गाली-गलौज, और झूठी पोस्टों से भरे हैं। इसका मकसद जनहित नहीं, बल्कि निजी एजेंडा और ब्लैकमेलिंग है।निहारिका टाइम्स: पत्रकारिता के नाम पर फर्जीवाड़ा
? संपादक की भूमिका संदिग्ध — पंचायत डेटा का दुरुपयोग, फर्जी खबरों से उगाही
इसके कथित संपादक सबलसिंह भाटी और उसके भाई खीमसिंह (जो पंचायत समिति गडरारोड़ में कार्यरत हैं) — मिलकर ग्राम पंचायतों से गोपनीय डेटा इकट्ठा करते हैं, फिर झूठी और भ्रामक खबरें बनाकर लोगों को डराते और ब्लैकमेल करते हैं।निहारिका टाइम्स: पत्रकारिता के नाम पर फर्जीवाड़ा
? ये “खबरें” कभी किसी वैध प्लेटफॉर्म पर नहीं छपतीं — सिर्फ पीडीएफ में बनाकर वायरल की जाती हैं।
? कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामले में फैलाई थी झूठी सनसनी
इस फर्जी अखबार ने कमलेश प्रजापत एनकाउंटर प्रकरण में भ्रामक और सनसनीखेज पोस्टें शेयर की थीं, जिससे यह चर्चा में आया। पर उसके बाद से इसका एक ही मकसद रहा — फर्जी खबरों के दम पर ब्लैकमेलिंग और बदनाम करने की साजिश।निहारिका टाइम्स: पत्रकारिता के नाम पर फर्जीवाड़ा
? हमारे पास हैं ठोस सबूत — RTI दस्तावेज़ों से उजागर हुई असलियत
राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक एवं मानवाधिकार संगठन की टीम ने RTI और दस्तावेज़ों के माध्यम से सारे सबूत इकट्ठा किए हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि “निहारिका टाइम्स”:
- न तो रजिस्टर्ड दैनिक समाचार पत्र है,
- न ही इसका कोई कानूनी प्रकाशन होता है,
- और न ही इसका कोई पत्रकारिता सिद्धांतों से संबंध है।
? अब ज़रूरत है आवाज़ उठाने की — फर्जी पत्रकारिता के खिलाफ सख़्त कार्रवाई जरूरी
अब वक्त आ गया है कि हम मिलकर फर्जी पत्रकारिता, सोशल मीडिया पर झूठ फैलाने, और पत्रकारिता की गरिमा को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करें।निहारिका टाइम्स: पत्रकारिता के नाम पर फर्जीवाड़ा
“निहारिका टाइम्स” है एक दिखावटी अखबार — वैधानिक नहीं, सिर्फ धोखाधड़ी
- ❌ कोई पंजीकृत मुद्रण नहीं
- ❌ कोई वैध रिपोर्ट नहीं
- ❌ कोई पत्रकार पंजीकरण नहीं
- ❌ केवल सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाना
? यह सिर्फ एक सोशल मीडिया-निर्मित धोखा है — पत्रकारिता नहीं।
?️ सच्चाई बोलना कठिन है, पर ज़रूरी है।
हमारी जिम्मेदारी है कि हम समाज को ऐसे फर्जीवाड़ों से जागरूक करें।









