कोरबा

जनधन खातों पर संकट: 50% से अधिक निष्क्रिय, बैंकर्स परेशान!

कोरबा : जनधन खातों पर संकट: 50% से अधिक निष्क्रिय, बैंकर्स परेशान!, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी जनधन योजना, जिसने देश के करोड़ों वंचितों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा था, अब एक नए संकट का सामना कर रही है। एक समय लोगों की पहली पसंद रहे इन खातों से अब मोह भंग होता दिख रहा है, क्योंकि जिले में 50% से अधिक जनधन खाते निष्क्रिय (इनएक्टिव) या बंद हो चुके हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इन खातों को फिर से सक्रिय करने के सख्त निर्देश जारी किए हैं, जिसने बैंकर्स की चिंता बढ़ा दी है।

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बंद होने का मुख्य कारण: केवाईसी का अभाव

जनधन खातों के बड़ी संख्या में बंद होने का मुख्य कारण ‘अपने ग्राहक को जानो’ (KYC) प्रक्रिया का पूरा न होना है। बैंकिंग नियमों के अनुसार, किसी भी बैंक खाते का हर 10 साल में कम से कम एक बार केवाईसी अपडेट होना अनिवार्य है। 2014 में शुरू हुई जनधन योजना के तहत कोरबा जैसे आदिवासी बहुल जिलों में, जहाँ ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ने का अभियान चलाया गया था, बड़ी संख्या में खाते खोले गए थे। अब इन खातों को 10 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन अधिकांश खाताधारकों ने अपनी केवाईसी अपडेट नहीं कराई है।जनधन खातों पर संकट: 50% से अधिक निष्क्रिय, बैंकर्स परेशान!

एक परिवार में कई खाते और मिनिमम बैलेंस का न होना:

श्रीमती संगीता अग्रवाल ने संभाला किशोर न्याय बोर्ड कोरबा के सदस्य पद का कार्यभार

इसके अलावा, कुछ परिवारों ने एक से अधिक जनधन खाते खुलवा लिए थे, जो अब निष्क्रिय पड़े हैं। हालांकि, जनधन खातों की एक बड़ी विशेषता यह है कि इनमें न्यूनतम शेष राशि बनाए रखने का कोई प्रावधान नहीं है (जीरो बैलेंस खाते)। कोविड-19 महामारी के दौरान भी लोगों ने बड़ी संख्या में ये खाते खुलवाए थे, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे उन तक पहुँच सके।जनधन खातों पर संकट: 50% से अधिक निष्क्रिय, बैंकर्स परेशान!

बंद खातों को चालू करना बड़ी चुनौती:

जिले में कुल 29 बैंक अपनी 134 शाखाओं और 686 बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट्स के माध्यम से बैंकिंग सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। इन निष्क्रिय खातों को फिर से सक्रिय करने की जिम्मेदारी अब बैंकों और उनके बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट्स पर है। लेकिन, यह कार्य आसान नहीं है। अधिकांश जनधन खाताधारक दुर्गम और दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जहाँ पहुँच सीमित संसाधनों के कारण मुश्किल है।जनधन खातों पर संकट: 50% से अधिक निष्क्रिय, बैंकर्स परेशान!

हालांकि, सरकारी योजनाओं की राशि सीधे खातों में आने के कारण कई ग्रामीण अब बैंकिंग सुविधाओं के प्रति जागरूक हुए हैं। बावजूद इसके, सभी बंद खातों की केवाईसी कराना और उन्हें सक्रिय करना एक Herculean टास्क है। बैंकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे शिविर लगाकर इन खातों की केवाईसी प्रक्रिया पूरी करें।जनधन खातों पर संकट: 50% से अधिक निष्क्रिय, बैंकर्स परेशान!

वित्त मंत्रालय के निर्देश और लीड बैंक मैनेजर का बयान:

लीड बैंक मैनेजर कृष्ण भगत ने इस संबंध में बताया कि जनधन खाते 2014 के बाद खुले थे और अब इन्हें 10 साल हो चुके हैं। बड़े पैमाने पर केवाईसी न होने के कारण ही ये खाते बंद हुए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने देशभर में इन खातों को फिर से सक्रिय करने के निर्देश दिए हैं। जिला स्तर पर भी सभी बैंक शाखाओं को शिविर लगाकर केवाईसी करने के आदेश दिए गए हैं, ताकि जल्द से जल्द बंद पड़े जनधन खातों को चालू किया जा सके।जनधन खातों पर संकट: 50% से अधिक निष्क्रिय, बैंकर्स परेशान!

सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ जनधन खातों में:

जनधन खाते केंद्र सरकार की विभिन्न हितग्राही मूलक योजनाओं की राशि सीधे लाभार्थियों तक पहुँचाने का मुख्य माध्यम हैं। महतारी वंदन योजना, किसान सम्मान निधि, तेंदूपत्ता संग्रहण बोनस, वृद्धा पेंशन, धान की बोनस राशि और किसानों के धान का समर्थन मूल्य जैसी कई योजनाओं की राशि सीधे जनधन खातों में हस्तांतरित की जाती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार की अधिकांश कल्याणकारी योजनाओं का सीधा लाभ (DBT) जनधन खातों के माध्यम से ही दिया जाता है।जनधन खातों पर संकट: 50% से अधिक निष्क्रिय, बैंकर्स परेशान!

फैक्ट फाइल:

  • जिले में कुल बैंक: 29

  • जिले में कुल बैंक शाखाएं: 134

  • कुल बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट: 686

  • कुल जनधन खाते: 7 लाख 89 हजार 772

  • कुल बंद हो चुके जनधन खाते (लगभग): 4 लाख

  • छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना की कुल हितग्राही: 70 लाख

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