गुरु तेग बहादुर सिंह की जयंती, जानें उनका जीवन और 10 प्रेरक विचार

गुरु तेग बहादुर सिंह की जयंती, जानें उनका जीवन और 10 प्रेरक विचार
WhatsApp Group Join NowFacebook Page Follow NowYouTube Channel Subscribe NowTelegram Group Follow NowInstagram Follow NowDailyhunt Join NowGoogle News Follow Us!वैशाख मास में कब मनाई जाती है गुरु तेग बहादुर सिंह जी की जयंती
NCG News desk-
प्रतिवर्ष गुरु तेग बहादुर सिंह जी की जयंती अप्रैल के महीने में पड़ती है। इस बार तिथि के अनुसार सिख धर्म के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह की जयंती/ प्रकाश पर्व वैशाख पंचमी के दिन यानी 28 या 29 अप्रैल 2024 को मनाया जा रहा है। तथा अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म 21 अप्रैल 1621 को हुआ था।
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सिख कैंलेडर की तिथि के अनुसार गुरु तेग बहादुर जी का जन्म वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष पंचमी को हुआ था। जो सिखों के नौवें गुरु के रूप में जाने जाते हैं। अपना समस्त जीवन मानवीय सांस्कृतिक की विरासत की खातिर बलिदान करने वाले गुरु तेग बहादुर जी का जीवन बहुत ही शौर्य से भरा हुआ है।
उन्हें सिख धर्म में क्रांतिकारी युग पुरुष के रूप में जाना जाता है। वैशाख कृष्ण पंचमी तिथि को पंजाब के अमृतसर में जन्मे तेग बहादुर जी गुरु हर गोविंद सिंह जी के 5वें पुत्र थे।

बचपन में वे त्यागमल नाम से पहचाने जाते थे, जो कि एक बहादुर, निर्भीक, विचारवान और उदार चित्त वाले थे। उनकी शिक्षा-दीक्षा मीरी-पीरी के मालिक गुरु-पिता गुरु हर गोविंद साहब की छत्र छाया में हुई। मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही अपने पिता के साथ उन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में अपना साहस दिखाकर वीरता का परिचय दिया और उनके इसी वीरता से प्रभावित होकर गुरु हर गोविंद सिंह जी ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया।
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इसी समयावधि में उन्होंने गुरुबाणी, धर्मग्रंथों के साथ-साथ अस्त्र-शस्त्र और घुड़सवारी आदि की शिक्षा प्राप्त की। सिखों के 8वें गुरु हरिकृष्ण राय जी की अकाल मृत्यु के बाद गुरु तेग बहादुर जी को नौवां गुरु बनाया गया।
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माना जाता है कि जब मुगल बादशाह ने गुरु तेग बहादुर सिंह जी से इस्लाम धर्म या मौत दोनों में से एक चुनने के लिए कहा। तब मुगल बादशाह औरंगजेब चाहता था कि गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म को छोड़कर इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लें, लेकिन जब गुरु तेग बहादुर जी ने इस्लाम अपनाने से इनकार कर दिया तब औरंगजेब ने उनका सिर कटवा दिया था। इस तरह उनका बलिदान दिवस 24 नवंबर को शहीदी गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है। गुरु तेग बहादुर सिंह ने आदर्श, धर्म, मानवीय मूल्य तथा सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
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सिख धर्म के नौंवें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह ने धर्म की रक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करके सही अर्थों में ‘हिन्द की चादर’ कहलाए। ऐसे वीरता और साहस की मिसाल थे गुरु तेग बहादुर सिंह जी। विश्व इतिहास में आज भी उनका नाम एक वीरपुरुष के रूप में बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। अपने खास उपदेशों, विचारों और धर्म की रक्षा के प्रति अपना जज्बा कायम रखने वाले गुरु तेग बहादुर सिंह जी का सिख धर्म में अद्वितीय स्थान है।
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