मरवाही वनमंडल में बड़ा घोटाला: फर्जीवाड़े से 18 लाख से अधिक की सरकारी रकम लूटी, SDO की जांच में हुआ पर्दाफाश!
छत्तीसगढ़ के मरवाही वनमंडल में एक बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जिसने पूरे वन विभाग में हड़कंप मचा दिया है। आरोप है कि वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी सील, जाली हस्ताक्षर और कूटरचित बिलों के सहारे सरकारी खजाने से 18 लाख रुपये से अधिक की रकम निकाल ली गई। इस पूरे गोरखधंधे का खुलासा तब हुआ जब एक ईमानदार उप मंडल अधिकारी (SDO) ने भुगतान के लिए आए बिलों पर संदेह जताया और गहन जांच शुरू की।फर्जीवाड़े से 18 लाख से अधिक की सरकारी रकम लूटी
कैसे हुआ यह संगठित भ्रष्टाचार?
प्रारंभिक जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं और एक सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करते हैं। इस घोटाले में कथित रूप से शामिल मुख्य किरदारों में शामिल हैं:
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संबंधित अवधि के DFO (वनमंडलाधिकारी)
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मरवाही रेंज के रेंजर रमेश खरवार
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डिप्टी रेंजर श्रीकांत परिहार
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वनरक्षक जवाहर
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संलग्न SDO अविनाश मैन्युअल
इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने सेल कोटा और नेचर कैंप के नाम पर फर्जी बिल तैयार कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया।
फर्जी हस्ताक्षर और बिलों का मकड़जाल
जांच में यह बात भी सामने आई है कि डिप्टी रेंजर श्रीकांत परिहार ने कथित तौर पर अन्य वनरक्षकों के फर्जी हस्ताक्षर कर दस्तावेज तैयार किए। इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मजदूरों के भुगतान और सामग्री खरीदी के नाम पर फर्जी बिल बनाए गए और उनका भुगतान भी करा लिया गया।फर्जीवाड़े से 18 लाख से अधिक की सरकारी रकम लूटी
रेंजर और संलग्न SDO की संदिग्ध भूमिका
मामले में एक और अहम मोड़ तब आया जब पेंड्रा उपवनमंडल के नियमित उप मंडल अधिकारी (SDO) श्री मोहर सिंह मरकाम अवकाश पर थे। आरोप है कि इस दौरान रेंजर रमेश खरवार ने मौके का फायदा उठाते हुए संलग्न SDO अविनाश मैन्युअल के साथ मिलकर फर्जी प्रमाणन करवाया और संदिग्ध बिलों को पास करा लिया। यह भी कहा जा रहा है कि इस तरह का फर्जीवाड़ा पहले भी हो चुका है।फर्जीवाड़े से 18 लाख से अधिक की सरकारी रकम लूटी
ईमानदार SDO ने खोली पोल
इस पूरे घोटाले का भंडाफोड़ तब हुआ जब हाल ही में इसी तरह के बिल भुगतान के लिए नियमित SDO श्री मोहर सिंह मरकाम के पास भेजे गए। दस्तावेजों को देखते ही उन्हें शक हुआ और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “न तो ये मेरे हस्ताक्षर हैं और न ही यह मेरी सील है।” इसके बाद उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए गहन जांच शुरू की, जिससे इस पूरे संगठित भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगीं।फर्जीवाड़े से 18 लाख से अधिक की सरकारी रकम लूटी
कड़ी कार्रवाई की मांग: निलंबन, FIR और उच्च स्तरीय जांच
यह मामला महज एक विभागीय अनियमितता का नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध का प्रतीत होता है। इसलिए, विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों द्वारा निम्नलिखित मांगें उठाई जा रही हैं:फर्जीवाड़े से 18 लाख से अधिक की सरकारी रकम लूटी
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उच्च स्तरीय जांच: इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच CBI या EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) जैसी एजेंसी से कराई जाए।
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दोषियों पर कार्रवाई: रेंजर रमेश खरवार, डिप्टी रेंजर श्रीकांत परिहार, संलग्न SDO अविनाश मैन्युअल और इस घोटाले में संलिप्त अन्य सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका की गहराई से जांच हो।
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तत्काल कदम: दोषियों के खिलाफ तत्काल प्रभाव से निलंबन, FIR दर्ज करने और गिरफ्तारी की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
सरकार की विश्वसनीयता दांव पर: ‘जीरो टॉलरेंस’ का क्या होगा?
छत्तीसगढ़ सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति का दावा करती है। मरवाही वनमंडल का यह घोटाला सरकार की इस प्रतिबद्धता की एक बड़ी परीक्षा है। यदि इतने पुख्ता सबूतों और स्पष्ट आरोपों के बावजूद दोषियों के खिलाफ कड़ी और उदाहरण प्रस्तुत करने वाली कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह अन्य भ्रष्ट तत्वों को सरकारी धन की लूट के लिए प्रोत्साहित करेगा।फर्जीवाड़े से 18 लाख से अधिक की सरकारी रकम लूटी
सिस्टम की सफाई आवश्यक
मरवाही वनमंडल का यह घोटाला छत्तीसगढ़ वन विभाग की प्रतिष्ठा पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। इस पूरे प्रकरण में दोषियों को कानून के तहत सख्त से सख्त सजा दिलाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि यह भविष्य के लिए एक नजीर बन सके और कोई भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी विभागीय धन को अपनी निजी संपत्ति समझने की भूल न करे। इस मामले पर आगे के अपडेट्स का इंतजार रहेगा।फर्जीवाड़े से 18 लाख से अधिक की सरकारी रकम लूटी